नई दिल्ली । राहुल गांधी कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। सोमवार को पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक में उनके नाम पर अंतिम मुहर लग गई। पार्टी का कहना है कि चुनाव की प्रक्रिया में किसी दूसरे का आवेदन ही दाखिल नहीं होने की सूरत में उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया है। इसके साथ ही अब सोनिया गांधी को अब कांग्रेस में क्या कोई नई भूमिका मिलेगी या वह अपनी सेहत के चलते राजनीति से सन्यास लेंगी, इन सवालों पर से जल्द ही पर्दा हटेगा। हालांकि इस दौरान सोनिया गांधी के नाम भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की सबसे ज्यादा वक्त तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड है। इस ऐलान के बाद कांग्रेस मुख्यालय के बाहर जश्न का माहौल देखने को मिला। लोगों ने दिन में ही आतिशबाजी की और साथ ही जमकर मिठाइयां बाटी।
ये भी पढ़ें- राहुल गांधी ने अपनाए नरेंद्र मोदी के ये 5 स्टाइल, कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले बदले-बदले नजर आने लगे
बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले ही पार्टी ने नए पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत कर दी थी। इस दौरान सभी राज्य इकाइयों को अपने यहां आमराय बनाकर अपने यहां से पार्टी अध्यक्ष के लिए नाम प्रस्तावित करने को कहा गया था। अधिकांश राज्यों ने अपने यहां से राहुल गांधी का नाम ही नए पार्टी अध्यक्ष के लिए नामित किया था। हालांकि इस दौरान 1-2 लोगों द्वारा भी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन करने की बातें सामने आईं, जिनके नामांकन को पार्टी ने खारिज कर दिया था।
ये भी पढ़ें-एक बार फिर से ‘शाॅटगन’ के निशाने पर पीएम, बोले सांप्रदायिकता का माहौल बनाना बंद करें
सोमवार दोपहर पार्टी ने राहुल गांधी को निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिया। पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि राहुल की ओर से दिए गए सभी 89 सेट सही पाए गए। इसी के साथ कांग्रेस में दो दशक बाद पार्टी को नए पार्टी अध्यक्ष मिला है।
ये भी पढ़ें-डोकलाम में चीन की नापाक साजिश, सर्दियां बढ़ते ही 400 टैंट लगे दिखे, इलाके में तैनात किए 1800 जवान
हालांकि अब सवाल ये उठ रहा है कि अध्यक्ष पद से हटने के बाद सोनिया गांधी की क्या भूमिका रहेगी? इन दिनों सोनिया की तबीयत भी ठीक नहीं रहती. सवाल यही है कि जब नरेंद्र मोदी जैसा ताकतवर राजनेता कांग्रेस का विरोधी है ऐसे में क्या सोनिया राहुल को अकेला छोड़ देंगी। सोनिया गांधी के करीबी सूत्रों और एक सीनियर नेता ने बताया कि सोनिया गांधी राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हैं, 2019 के लोकसभा चुनाव तक वह यूपीए की चेयरपर्सन बनी रहेंगी। संभावना है कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष भी वही रहेंगी। इसके पीछे की वजह है गठबंधन।