नई दिल्ली। दिल्ली में कचरा प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली की जनता कचरे की वजह से परेशान है और इसके निस्तारण के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में आम नागरिक एलजी हाउस के बाहर कचरा क्यों न फेंक दें। यहां बता दें कि सोनिया विहार इलाके मंे लैंडफिल बनाने के विरोध के बाद दिल्ली की सड़कांे पर कूड़ा फैला हुआ है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश ही वकील पिंकी आनंद से पूछा कि क्या इस स्थिति में दिल्ली रहने लायक बचेगी? कोर्ट ने दक्षिणी निगम को कचरा प्रबंधन पर 14 अगस्त तक पायलट प्रोजेक्ट योजना पेश करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 17 अगस्त तक टाल दी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कूड़ा निस्तारण के मामले में पहले भी उपराज्यपाल को कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बाद कहा गया कि कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है लेकिन इसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा। इसके लिए कई बैठकें की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्ती दिखाते हुए कहा था कि आप कितनी भी चाय पिएं या मीटिंग करें। मीटिंग में क्या निकलकर आया इसके बारे में जानकारी दी जाए।
यहां बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली के नागरिकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार दिल्ली पुलिस के मुखिया को कोर्ट में हाजिर करने की बात कही थी लेकिन सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने उन्हें बुलाने से इंकार करते हुए कहा था कि कूड़ा निस्तारण के लिए काम किया जा रहा है लेकिन यह रातोंरात नहीं हो सकता है इसमें थोड़ा समय लगेगा।
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गौर करने वाली बात है कि ताजा सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की हालत को देखते हुए कहा कि सरकार की ओर से कूड़ा निस्तारण के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है तो आम लोग क्यों न अपना कचरा एलजी के घर के आगे फेंक दें। कोर्ट ने यह भी कहा कि सोनिया विहार इलाके में डंपिंग ग्राउंड बनाने से पहले वहां के लोगों की राय क्यों नहीं ली गई? देश में आपातकाल के जैसी स्थिति नहीं है कि लोगों को नजरअंदाज कर दिया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने घरों से अलग-अलग छांट कर कूड़ा एकत्र करने के बारे में चल रहे पायलट प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट मांगी है।