Friday, April 26, 2024

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जन्मदिन विशेष: जावेद अख्तर हुए 72 साल के, जानिए ‘जादू’ से जावेद बनने के सफर के बारे में

अंग्वाल न्यूज डेस्क
जन्मदिन विशेष: जावेद अख्तर हुए 72 साल के, जानिए ‘जादू’ से जावेद बनने के सफर के बारे में

नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा को यादगार बनाने में पटकथा लेखक और गीतकार एक अहम किरदार अदा करते हैं। जावेद अख्तर का नाम उन पटकथा लेखकों में से एक है हिन्दी सिनेमा को कई दमदार कहानी देने वाले जावेद अख्तर आज 72 साल के हो गए। जावेद साहब का जन्म 17 जनवरी 1945 को हुआ था। उनके माता-पिता का नाम जान निसार अख्तर और सैफिया अख्तर था। पिता फिल्मों में गीतकार थे और मां गायिका थीं। ऐसे में मां-बाप का गुण तो बच्चे में आना ही था। जावेद भी बचपन से ही कविताएं लिखने लगे थे। आइए जावेद अख्तर की जिन्दगी से जुड़ी और बातों के बारे में जानते हैं। 

बचपन से ही था लिखने का शौक

आपको बता दें कि जावेद अख्तर के बचपन का नाम ‘जादू’ था। ये नाम जावेद के पिता ने उनकी एक कविता की लाइन पढ़कर दिया था। कविता की लाइनें कुछ इस प्रकार से थीं, ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’। कुछ समय बाद उनका नाम जावेद पड़ गया जो जादू से काफी हद तक मिलता था। जावेद अख्तर के लिखने का अंदाज बचपन से ही काफी अच्छा था। अपने बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि स्कूल में पढ़ने के समय से ही लोग उनसे प्रेम पत्र लिखवाने आते थे। जावेद को लिखने का इतना शौक था कि वे उन लोगों के लिए भी लव लेटर लिखते थे जिन्हें वो जानते तक नहीं थे। 

पेड़ के नीचे गुजारनी पड़ी रातें

साल 1964 में वे काम के सिलसिले में मुंबई आ गए। यहां ये भी जानना जरूरी है कि जब वे मुंबई आए थे तब उनके पास कुछ भी नहीं था। न खाने के लिए पैसा और न ही रहने के लिए घर। काम नहीं मिलने के चलते उन्हें कई बार तो पेड़ के नीचे सोकर रातें गुजारनी पड़ी। फिल्मों में काम करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। इसके बाद उन्हें क्लैपर ब्याॅय की नौकरी मिली। 

सलीम-जावेद की जोड़ी

फिल्म सरहदी के सेट पर जावेद अख्तर की मुलाकात सलीम खान से हुई। इसके बाद दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए। उनसे मुलाकात के बाद जावेद कैफी आजमी के असिस्टेंट बन गए और सलीम लेखक, निर्देशक अबरार अलवी के सहायक बन गए। आपको बता दें कि कैफी आजमी और अबरार अलवी दोनों पड़ोसी थे। इन्हीं दोनों के चलते जावेद और सलीम को फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ की दमदार स्क्रिप्ट लिखी। इसके बाद तो दोनों की जोड़ी हिट होती चली गई। 


ऐसे हुई हनी से मुलाकात

फिल्म ‘सीता और गीता’ के दौरान ही जावेद की मुलाकात हनी ईरानी से हुई। हनी उस फिल्म में सपोर्टिंग रोल प्ले कर रही थीं। सेट पर ताश खेलने में जावेद बार-बार हार जा रहे थे। इस पर हनी ने कहा कि लाओ मैं तुम्हारे लिए कार्ड निकालती हूं। तब जावेद ने उनसे कहा कि अगर ये पत्ता अच्छा निकला तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा। अब इसे संयोग ही कहेंगे कि पत्ता अच्छा निकल आया। दोनांे ने शादी का फैसला कर लिया। जावेद अख्तर और हनी की शादी कराने में सलीम खान ने एक बार फिर अहम भूमिका अदा की। उनकी बात पर ही हनी की मां शादी के लिए तैयार हुई थीं। 

हनी ‘लकी’ साबित हुई

अब दोनों ने शादी तो कर ली लेकिन रहने की काफी दिक्कत थी। एक लंबे समय तक दोनों हनी की बड़ी बहन के घर पर रहे। हनी जावेद के लिए काफी भग्यशाली साबित हुई। धीरे-धीरे जावेद अख्तर को काम मिलने लगा। इसके बाद दोनों एक बड़े घर में शिफ्ट हो गए। कुछ समय के बाद जोया का जन्म हुआ। जोया के साथ दोनों का वक्त गुजरने लगा। 

शबाना आजमी से की शादी

साल 1970 में हनी और जावेद की जिन्दगी में एक बड़ा तुफान आ आया। जावेद का दिल कैफी आजमी की बेटी शबाना आजमी पर आ गया। 1974 में फरहान के जन्म के बाद दोनों में शबाना को लेकर रोज झगड़े होने लगे। आपसी रिश्ते खराब न हों इसके लिए हनी ने जावेद को शबाना के पास जाने के लिए कहा। हनी से तलाक लेकर जावेद अख्तर ने 1984 में शबाना आजमी से शादी कर ली। जावेद अख्तर को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।   

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