Tuesday, April 16, 2024

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जानिए पूर्व IPS के. अन्नामलाई को , भाजपा ने इन्हें सौंपी है दक्षिण के दुर्ग को भेदने की जिम्मेदारी

अंग्वाल न्यूज डेस्क
जानिए पूर्व IPS के. अन्नामलाई को , भाजपा ने इन्हें सौंपी है दक्षिण के दुर्ग को भेदने की जिम्मेदारी

न्यूज डेस्क । अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए सियासी दलों ने अपना बिगुल बजाना शुरू कर दिया है। जहां विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ा गठबंधन बनाने की जुगत में जुट गए हैं , वहीं इस बार भाजपा ने दक्षिण के दुर्ग को भेदने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है । दक्षिण में भाजपा का विस्तार अभी उस तरह नजर नहीं आता , जैसा उत्तर भारत के साथ उत्तर - पूर्व के राज्यों में नजर आता है । ऐसे में अपने नए लक्ष्य को भेदने के लिए भाजपा ने पिछले साल तमिलनाडु में एक युवा और पूर्व आईपीएस के अन्नामलाई को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया था । भाजपा प्रदेश में युवाओं को मौका देकर वहां कुछ चौंकाने वाले परिणाम लाने की रणनीति बना रही है , जिसमें अन्नामलाई की अहम भूमिका सामने आ रही है । पार्टी के उन्हें अहम भूमिका दिए जाने से कई लोग हैरान हुए थे , लेकिन अब अन्नामलाई के लिए कुछ करके दिखाने का मौका है । भाजपा उन्हें एक दमदार रणनीतिकार मान रही है और आशा कर रही है कि वह आगामी लोकसभा चुनावों के बाद दक्षिण के सबसे बड़े रणनीतिकार साबित होंगे । 

भाजपा की नजर दक्षिण पर

विदित हो कि दक्षिण भारत में भाजपा साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में, मोदी लहर के बावजूद कुछ खास नहीं कर पाई थी । ऐसे में अन्नामलाई का प्रदेश अध्यक्ष होने का पार्टी को फायदा मिल सकता है । दरअसल अन्नामलाई न सिर्फ तमिलनाडु के लोकल नेता हैं बल्कि युवा नेताओं में भी शामिल हैं । इससे लोगों के बीच संदेश जाएगा कि बीजेपी समय के साथ चलने वाली पार्टा है । ये न सिर्फ स्थानीय लोगों को मौका दे रही है बल्कि युवाओं और शिक्षित लोगों को भी अपनी पार्टी में शामिल कर रही है ।  

130 सीटों पर नजर

बता दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं ।  केंद्र शासित पुडुचेरी में भी एक सीट है । ऐसे में दक्षिण भारत में कुल सीटों की संख्या 130 हो जाती है । इसी बीच  अन्नामलाई जिस समुदाय से आते हैं उसी से पलानीस्वामी भी आते हैं । पलानीस्वामी वेल्ला गौंडर जाति के बड़े नेता भी माने जाते हैं. और इस जाति का तमिलनाडु में एक रणनीतिक महत्व भी है । ऐसे में अन्नामलाई पलानिस्वामी के वोट बैंक में सेंधमारी कर भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है । 

युवाओं पर है नजर


असल में पिछले कुछ सालों में युवाओं को अपनी पार्टी से जोड़ने में कामयाब रही भाजपा अब दक्षिण का दुर्ग भेदने के लिए भी अपनी इसी योजना को अमलीजामा पहनाना चाहती है । यही कारण रहा कि भाजपा ने पूर्व IPS रहे युवा के अन्नामलाई को प्रदेश की कमान सौंपी है । भाजपा अच्छी तरह से जानती है कि अगर दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो स्थानीय स्तर पर युवा नेताओं को मौका देना होगा ।

जानिए आखिर कौन है ये अन्नामलाई

बता दें कि तमिलनाडु के करूर जिले से आने वाले अन्नामलाई का जन्म कोईंबतूर में एक साधारण किसान परिवार में हुआ । कोंगु-वेल्लार जाति के हैं. ये जाति आजादी के समय तो अगड़ी जाति थी, लेकिन साल 1975 से इसे पिछड़ी जाति का दर्जा दे दिया गया । मीडिया में प्रकाशित उनके एक इंटरव्यू के मुताबिक उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश जाना मेरे लिए एक सदमे जैसा था । यहां 5-5 रुपये के लिए किसी की हत्या कर दी जाती थी । इस प्रदेश ने मुझे हमेशा के लिए बदल दिया. मैंने इतनी गरीबी पहले कभी नहीं देखी थी । उसी वक्त मैंने तय किया कि मैं एक ऐसा जीवन जिऊंगा, जहां मैं लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकूं।  

अन्नामलाई आगे कहते हैं कि सिविल सेवा मुझे ऐसी ही जिंदगी जीने का एक तरीका लगा । मैंने आईआईएम में आए इंटरनेशनल कंपनियों में प्लेसमेंट लेने की जगह सिविल सेवा की परीक्षा दी । मुझे आईएएस बनना था लेकिन कम नंबर आने की वजह से मैं आईपीएस बन गया । मैं वर्दी में खुश था। हालांकि 25 मई 2019 को उन्होंने पुलिस से इस्तीफा दे दिया । इस्तीफे के वक़्त अन्नामलाई बेंगलुरु दक्षिण के डीसीपी थे और लोग उन्हें सिंघम के टाइटल से बुलाते है । उन्होंने स्टेपिंग बियॉन्ड खाकी के नाम से एक किताब भी लिखी है ।  

25 अगस्त 2020 को भाजपा में शामिल हुआ

अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद 25 अगस्त 2020 को अन्नामलाई भाजपा में शामिल हो गए । लगभग एक साल बाद ही यानी 9 जुलाई 2021 को उन्हें तमिलनाडु भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया । साल 2021 तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनाव में अन्नामलाई भाजपा की तरफ से चुनाव भी लड़े थे. लेकिन अरवाकुरुच्ची सीट से वह 24,300 वोटों से हार गए थे ।  भाजपा को पिछली बार मिली थी सिर्फ 29 सीटें

पिछले लोकसभा चुनावों मे भाजपा को इन 130 सीटों में से महज 29 सीटें ही मिली थी, जिसमें से अकेले 25  कर्नाटक से मिली थी। दक्षिण के 3 राज्यों (तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश) में भारतीय जनता पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी ।  असल में दक्षिण भारत के 3 राज्यों की सीमा तमिलनाडु की सीमा से सटी हुई है । इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल शामिल हैं । जयललिता के निधन के बाद इन राज्यों में विपक्ष पूरी तरह कमजोर पड़ गई है । भाजपा को अपनी जड़ें जमाने के लिए यह समय अनुकूल लग रहा है । 

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