नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश के छोटे शहरों को भी मेट्रो की सौगात देने की रणनीति बना रहे हैं। हाल में उनकी अध्यक्षा में हुई कैबिनेट बैठक में यूं तो कई फैसलों पर मुहर लगी, लेकिन इस दौरान उनकी लिस्ट में नई मेट्रो पॉलिसी थी। अब माना जा रहा है कि पीएम मोदी के इस रुख से देश के छोटे शहरों में भी मेट्रो नेटवर्क बनाने की राह आसान हो जाएगी। कैबिनेट ने मेट्रो नेटवर्क विस्तार की नई मेट्रो रेल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब छोटे शहरों को भी मेट्रो की सौगात मिलेगी।
सामान खरीद का सिस्टम विकसित होगा
मिली जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस पॉलिसी को मंजूरी मिलने के बाद अब पॉलिसी के माध्यम से मेट्रो नेटवर्क के नियम और स्टैंडर्ड्स पर चर्चा होगी। इतना ही नहीं प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए खरीद का एक सिस्टम विकसित किया जाएगा। इसमें मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग और फाइनेंसिंग पर भी बात होगी।
राज्यों को सुझाए तीन वित्तिय मॉडल
खबर है कि मेट्रो विस्तार की इस कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों को कई वित्तीय मॉडल सुझाए गए हैं। अब राज्य सरकारें चाहे तो वे अपने राजकोष से मेट्रो की पूरी लागत दे सकते हैं। ऐसे मामलों में केंद्र मेट्रो प्रॉजेक्ट की लागत का महज 10 फीसदी हिस्सा देगी। जबकि दूसरे मॉडल के तहत सरकार वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) देकर निजी कंपनियों को मेट्रो बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। तीसरे मॉडल के तहत स्थिति पूर्ववत रहेगी, जिसमें खर्च का 50 फीसदी केंद्र सरकार देती है तो 50 फीसदी खर्च राज्य सरकार को उठाना पड़ता है।
सरकार बनाएगी स्वतंत्र एक्सपर्ट एजेंसी
शहरी विकास सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि अब केंद्र की मोदी सरकार हर शहर में मेट्रो प्रॉजेक्ट की डीपीआर की स्टडी करने के लिए एक स्वतंत्र एक्सपर्ट एजेंसी बनाएगी। यह एजेंसी बताएगी कि आखिर किस शहर को मेट्रो की जरूरत और किसे नहीं। इतना ही नहीं राज्य सरकारों को अधिकार होगा कि वह मेट्रो से जुड़े कुछ कार्य निजी कंपनियों को दे सकते हैं।
अभी मेट्रो की स्थिति
बता दें कि फिलहाल देश के शहरों, जिसमें दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, कोच्चि, मुंबई, जयपुर और गुरुग्राम में मेट्रो नेटवर्क है। इसके अलावा हैदराबाद, नागपुर, अहमदाबाद, पुणे और लखनऊ के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।