नई दिल्ली। दवाई खरीदते समय हम अक्सर उस पर लिखी एमआरपी को देखते हैं और दुकानदारों द्वारा कुछ छूट देने भर से ही हम खुश हो जाते हैं। क्या आपको पता है कि दवाई के रैपर पर लिखी कीमत उसकी असल कीमत नहीं होती है। सरकार अब इसके लिए ऐसा नियम बनाने जा रही है जिससे दवाओं के पैकटों पर अधिकतम मूल्य के साथ फैक्ट्री लागत भी लिखी आएगी जिससे उपभोक्तओं को असली दाम का पता चल सकेगा। अगर दवा विदेश से आयात की गई है तो उस पर लैंडेड प्राइस यानी की भारत आने के समय उसका मूल्य अंकित होगा।
बाजार में पारदर्शिता
गौरतलब है कि सरकार का ऐसा मानना है कि इस व्यवस्था से दवा बाजार में पारदर्शिता आएगी। इससे दवाओं के मनमाने दाम वसूलने वाली कंपनियों पर दवाब भी बढ़ेगा। हालांकि दवा उद्योग सरकार के इस कदम से खुश नहीं है। एसोसिएशन आॅफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम संयोजक राजीव नाथ का कहना है कि आयात के दाम लगातार बदलते रहते हैं ऐसे में लगातार बदलाव संभव नहीं है।
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अधिसूचना होगी जारी
आपको बता दें कि केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन ने ड्रग्स एंड काॅस्मेटिक्स एक्ट के नियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। संशोधन में बदलाव होने के बाद सभी दवा निर्माताओं को यह जानकारी देना अनिवार्य होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही इसके लिए अधिसूचना जारी करेगा। इससे दवा कंपनियों पर मुनाफा कम से कम रखने का दवाब होगा। अगर यह योजना अमल में आती है तो उपभोक्ता भी दवा की लागत और पैकेट पर लिखे दामों में अंतर कर अपना पैसा बचा पाएंगे।