नई दिल्ली। महिलाओं का नाक व कान छिदवाना अब एक सिर्फ महज संस्कृति का हिस्सा नहीं रह गया है । अब यह एक फैशन बन चुका है। लोगों ने इसे अपने फैशन में शामिल कर इसे भारतीय समाज में एक नया ही रूप दे दिया है। बता दें कि नाक व कान के साथ लोग फैशन के चलते अक्सर नए प्रयोग करते ही रहते हैं, लेकिन आज नाक व कान छिदवाने से संबंधित हम आप को कुछ ऐसी बाते बताएंगे जो शायद ही कोई जानता हो। यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि यह हमारी संस्कृति होने के साथ-साथ यह मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता हैं। आइए जानते हैं उनके लाभों के बारे में...,
आंखों की रोशनी में बढ़ोतरी
कानों के जिस हिस्से में छेद किए जाते हैं वह आंखों की नसों से जुड़ा हुआ होता है। इसके कारण एक्यूपंक्चर की दृष्टि से इस बिंदु के दबते ही आंखों की रोशनी में सुधार होने लगता है।
एकाग्रता में वृद्धि
पहले जमाने में बच्चों को गुरुकुल भेजने से पहले से बेहतर ज्ञान अर्जित करवाने के लिए उसके कान छेदने की प्रथा थी। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कान छिदवाने से मस्तिष्क की पावर बढ़ती जिसे एकाग्रता में वृद्धि होने में सहायक होती है।
डिप्रेशन से छुटकारा
एक्यूपंक्चर के मुताबिक, जब कान व नाक छिदवाएं जाते हैं तो केंद्र बिंदु पर दबाव पड़ने से ओसीडी(किसी भी बात की जरुरत से ज्यादा चिंता करना), घबराहट और मानसिक बीमारी को दूर करने में मदद मिलती है।
मोटापे से मिलता है छुटकारा
कान के जिस जगह पर छेद किए जाते हैं। वहां भूख लगने वाला बिंदु होता है। इस बिंदु पर अगर छेद किया जाए तो पाचन क्रिया को ठीक बनाए रखता है। इससे मोटापा बढ़ने के मौके कम होते हैं।
मस्तिष्क का विकास
पुरानी मान्यतों के अनुसार कान के निचले हिस्से में एक ऐसा बिंदु होता है। जो मस्तिष्क के बाएं और दाएं गोलार्द्ध से जुड़ा होता है। तो कहा जाता है बच्चे के विकास के समय ही उसके कान छिदवा देने चाहिए।