मुंबई । महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार काफी हो हल्ले और हंगामे के बाद बन तो गई है, लेकिन शिवसेना- एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली इस सरकार में पदों के बंटवारे को लेकर गतिरोध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है । फुल सियासी ड्रामे के बाद बनी ठाकरे सरकार के बाद अब पदों के बंटवारे पर एक बार फिर से गठबंधन के साथी दलों के दिग्गजों के बयान आने शुरू हो गए हैं । महाराष्ट्र की उद्ध ठाकरे सरकार बनाने में किंगमेकर की भूमिका निभाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंत्रालयों के बंटवारे पर बयान देकर गतिरोध उजागर किया है । एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पवार ने कहा कि एनसीपी को डिप्टी सीएम का पद दिया गया है लेकिन ऐसा डिप्टी सीएम, जिसके पास कोई अधिकार नहीं होता । उनके इस बयान को गठबंधन सरकार के भीतर जारी गतिरोध की एक झलक करार दिया जा रहा है ।
एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए शरद पवार ने कहा कि मंत्रालय को लेकर उनकी पार्टी एनसीपी और शिवसेना के बीच कोई झगड़ा नहीं है । यह गतिरोध कांग्रेस और एनसीपी के बीच है । पवार ने कहा कि एनसीपी के पास शिवसेना से दो सीटें कम हैं, जबकि कांग्रेस से 10 सीटें ज्यादा हैं । इस सब के बावजूद शिवसेना के पास जहां मुख्यमंत्री का पद है , वहीं कांग्रेस के पास स्पीकर का पद है , लेकिन मेरी पार्टी को क्या मिला...? डिप्टी सीएम ... जिसक पास कोई अधिकार नहीं होता ।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में किंगमेकर की भूमिका में आने वाले शरद पवार का यह बयान उनकी एक रणनीति का हिस्सा है , जिसके तहत वह रोटेशनल सीएम की चर्चाओं को हवा देने जा रहे हैं । यूं तो तीनों दलों के बीच सहमति के बाद महा विकास अघाड़ी की संयुक्त सरकार बनने के दौरान शिवसेना और एनसीपी के बीच सीएम पद पर ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला लागू होने की बात रखी गई थी । खुद पवार ने इस मुद्दे पर चर्चा होने की बात सार्वजनिक मंच से कही थी ।
बहरहाल, नई सरकार के गठन के बाद जहां सीएम पद पर उद्धव ठाकरे बैठ चुके हैं , वहीं कांग्रेस के हिस्से में विधानसभा स्पीकर का पद याया है । लेकिन एनसीपी के हिस्से आए कथित 'दंतविहिन' डिप्टी सीएम पद को लेकर जहां शरद पवार खुश नहीं है , वहीं अभी तक इस पद पर किसी की नियुक्ति भी नहीं की जा सकी है । इसके साथ ही मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर भी गतिरोध बरकरार है , जिसके चलते उद्धव कैबिनेट का विस्तार भी अभी तक नहीं हो सका है ।
बता दें कि भाजपा की फणनवीस सरकार को हटाकर शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले शिवसेना प्रमुख शरद पवार सरकार गठन से पहले भी कई ऐसे बयान दे चुके हैं , जिसने गठबंधन को झटका दिया था । हालांकि तीनों दलों ने सरकार चलाने के लिए अपने गठबंधन से पहले ही एक कॉमन मीनिमम प्रोग्राम को तैयार कर लिया था , लेकिन अब राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि बिल्कुल अलग - अलग विचारधारा के तीन दलों की यह गठबंधन सरकार आने वाले समय में कई अहम राष्ट्रीय हित से जुड़े बिलों पर किस तरह अपना नजरिया जनता के सामने रखेंगी , यह उनके लिए बड़ी चुनौती होगी ।