न्यूज डेस्क । तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है । चीन के इस काम में अपना दखल देने से जहां बौद्ध संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है , वहीं भारत में भी इसका पुरजोर विरोध किया है। भारतीय बौद्ध संगठनों ने साफ कह दिया है कि 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) की नियुक्ति में चीन (China) का हस्तक्षेप हमें स्वीकार नहीं । दलाई लामा का उत्तराधिकारी (Dalai Lama Successor) चुनने का अधिकार सिर्फ दलाई लामा के पास ही है। इसे लेकर अब भारत में भी बौद्ध संगठन चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ।
क्या है चीन का दावा
असल में दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने को लेकर चीन यह दावा कर रहा है कि दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) के अगले उत्तराधिकारी को चुनने का एकमात्र अधिकार बीजिंग के पास है । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार अगले दलाई लामा के चयन अधिकार को लेकर किए गए इस दावे पर अडिग है और किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं दिख रही है । असल में चीन तिब्बत को अपने देश का हिस्सा बताता है । वहीं, दलाई लामा आजाद तिब्बत की मुहिम चलाते हैं । इस स्थिति में अगर चीन अगला दलाई लामा नहीं चुन पाता है, तो तिब्बत पर उसका दावा कमजोर हो जाएगा ।
बौद्ध संगठन गुस्से में
विदित हो कि इस पूरे मुद्दे को लेकर भारत के पहाड़ी राज्य लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश में कई भारतीय बौद्ध संगठनों ने चीन के इस दावे के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है । चीन की इस मनमानी के खिलाफ बौद्ध संगठनों ने एक प्रस्ताव भी पारित किया है । इस प्रस्ताव में कहा गया है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी सिर्फ दलाई लामा ही चुन सकते हैं । दरअसल, चीन की ओर से किया जा रहा दावा अमेरिकी-तिब्बत नीति के खिलाफ है । इस नीति के अनुसार, दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार तिब्बतियों के पास ही रहेगा ।
दो साल की उम्र में दलाई लामा चुने गए थे ग्यात्सो
बता दें कि दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को महज 2 साल की उम्र में उत्तराधिकारी चुना गया था । तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे बौद्धों का कहना है कि तेनजिन ग्यात्सो ही अपना उत्तराधिकारी चुनेंगे । बौद्ध संगठनों के मुताबिक, दलाई लामा साफ कर चुके हैं कि उनका अगला जन्म ना तिब्बत में होगा, ना ही चीन में । उनका उत्तराधिकारी इन दोनों देशों की सीमाओं से बाहर जन्म लेगा । अगर चीन की ओर से कोई दूसरा दलाई लामा खड़ा करने की कोशिश की जाएगी, तो हम उस फैसले को नहीं मानेंगे ।