नई दिल्ली। यह तो सभी ने सुना है कि एक बिहारी सब पर भारी इसी कहावत समय-समय पर कई दिग्गजों ने सच कर के दिखाया है। वहीं इस क्रर्म में बिहार के अभय कुमार सिंह ने एक बार फिर इस कहावत को सच कर दिखाया है। भारतीय मूल के इस शख्स ने रूसी चुनावों के दौरान जीत हासिल कर रूस में डेप्यूतात यानि एक विधायक (MLA) का पद हासिल किया। अभय कुमार सिंह पटना बिहार के रहने वाले हैं। तो आइए हम बताते है कि कैसे तय किया उन्होंने अपना यहा तक का सफर।
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किस तरह कि रूस में शुरुआत
अभय ने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें बिजनस शुरू करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था क्योंकि वह गौरे नहीं थे। लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और तय किया कि कड़ी मेहनत कर के वह खुद को कामयाब बना कर रखेंगे। जैसे-जैसे उन्होंने रूस में अपने पैर पसारने शुरू किए उसके बाद उन्हें बिजनेस में काफी कामयाबी हासिल हुई। इसके बाद अभय ने रियल एस्टेट में भी अपने हाथ आजमाया इसमे भी अभय को काफी सफलता प्राप्त हुई आज उनके पास कई शॉपिंग मॉल भी हैं।
राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से हैं प्रभावित
अभय कुमार ने बताया कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने पुतिन की पक्ष लेते हुए बताया कि पुतिन ने 2018 का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ कर जीता लेकिन पार्टी का पूरा समर्थन उनके पीछे रहा है। अभय ने इस चुनाव के कुछ महीने पहले अक्तूबर, 2017 में व्लादिमीर पुतिन की पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कुर्स्क विधानसभा का चुनाव जीत लिया था।
यहां आप को बता दें कि आज अभय रूस के विधायक है। उन्होंने व्लादीमिर पुतिन की 'यूनाइटेड रशा' पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता है।
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बिहार से है रिश्ता
अभय का जन्म पटना, बिहार में हुआ था। उन्होंने वहीम के लोयोला स्कूल से अपनी पढ़ाई कि और वर्ष 1991 में अपने दोस्तों के साथ मेडिकल की पढ़ाई करने रूस आ गए। काफी मेहनत से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पटना वापस चले गए। और वापस आकर प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा दिया। पर उनकी कुछ बड़ा करने की इच्छा उन्हें वापस रूस ले आई। और रूस में आकर कुछ लोगें के साथ मिलकर दवाइयों का बिजनेस शुरू किया जिसके बाद उन्हें सफलता मिलती चली गई।
अभय ने बताया कि उन्हें गर्व है कि एक भारतीय होने के बाद भी वे रूस में रच बस गए और आज चुनाव जीत कर वहा के विधायक भी बन गए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेरी कोशिश रहती है कि जब मौका मिले बिहार जा कर अपने रिश्तेदारों से मिल सकू।