लखनऊ। अमूमन हमारे जनप्रतिनिधियों को ऐसा होना चाहिए जो सरकार और समाज के बीच की कड़ी बनते हुए विकास के कार्यों या सरकार की नीतियों को अमलीजामा पहनाने में अहम भूमिका निभाएं। लेकिन किसी सूबे का विकास ऐसे कैबिनेट मंत्री क्या करेंगे जो इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुके जीएसटी के बारे में ही नहीं जानते। बात यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री की हो रही है, जिन्हें जीएसटी को लेकर फैल रही भ्रामक सूचनाओं को रोकने और व्यापारियों से संपर्क कर उन्हें जीएसटी की वास्तविक स्थिति बताने का जिम्मा खुद सीएम योगी ने सौंपा हो। आलम ये है कि मंत्री जी किसी को क्या जीएसटी के बारे में बताएंगे ये खुद जीएसटी का फुल फॉर्म नहीं जानते।
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असल में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे में व्यापारियों के बीच जीएसटी को लेकर जारी अफवाहों को दूर करने के लिए एक रणनीति बनाई। उन्होंने कुछ कैबिनट मंत्रियों समेत जिले के प्रभारी मंत्रियों व कुछ अन्य नेताओं को लोगों-व्यापारियों से सीधे संवाद स्थापित करने के निर्देश दिए। कहा गया कि ये मंत्री व्यापारियों से मिलकर, गोष्ठियों के जरिए, संवाद मंचों के जरिए या मीडिया के जरिए उन्हें जीएसटी के बारे में सही जानकारी दें। किसी भी प्रकार की अफवाह पर उन्हें सच बताएं। लेकिन लगता है सीएम ने ऐसे मंत्रियों को काम पर लगा दिया जो खुद जीएसटी को नहीं समझते। यहां तक की जीएसटी की फुल फॉर्म नहीं बता पाए। ऐसे मंत्री जी है समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री। जब मीडिया ने इनसे ही पूछ डाला कि जीएसटी का फुल फॉर्म क्या है तो लगे बगले झांकने। काफी देर तक इधर-उधर देखने के बाद माना कि वह नहीं जानते।
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अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि सीएम ने जिन मंत्रियों को व्यापारी वर्ग और आम आदमी को जीएसटी के बारे में बताने के काम पर लगाया है क्या वह खुद जीएसटी के बारे में जानते हैं। अगर इन्हें खुद कुछ नहीं मालूम तो ये जनता को क्या बताएंगे।
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