कोटा। राजस्थान के कोटा से एक ऐसी खबर आ रही है जिसने सभी लोगों को हैरत में डाल दिया है। दरअसल कोटा के बूंदी जिले में सरपंच द्वारा एक 5 साल की बच्ची को तुगलकी फरमान सुना दिया गया। पांच साल की इस बच्ची से 2 जुलाई को स्कूल के पास टिटहरी पक्षी के अंड़े गलती से टूट गए थे। इसके बाद गांव के बुजुर्गों की बैठक हुई और बच्ची को जाति बहिष्कार जैसी सजा सुना दी गई। इस सजा के बाद बच्ची के पिता ने इसका विरोध किया तो बच्ची की सजा को 2 दिन से बढ़ाकर 11 दिन कर दी गई।
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इस मामले की खबर पुलिस को लगते ही पंचो के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी गई है। यहां तक की इस मामले में बाल संरक्षण आयोग की मनन चतुर्वेदी भी बच्ची के घर पहुंची और उन्होंने वहां जाकर स्थिति का जायजा लिया। इस मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन और हिंदोली तहसीलदार भगवान सिंह और एसएचओ लक्ष्मण शर्मा को मिली थी तो वो भी गांव पहुंचे। पुलिस अधिकारियों ने यहां समुदाय के सदस्यों को बताया था कि उनका फरमान कानून के विरुद्ध है।
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गौरतलब है कि गांव के लोगों की यह मान्यता है कि जिस पक्षी के अंड़ों को बच्ची द्वारा नुकसान पहुंचाया गया वह बरसात की संदेशवाहक होती है। इसे या इस के अंड़ों को नुकसान पहुंचाने पर सजा दी जाती है। बच्ची के खिलाफ इस तरह का फरमान सुनाने के बाद पंचो ने उसके पिता से पंचायत के लिए नमकीन और चने के साथ बीड़ी का इंतजाम करने के लिए कहा था। बच्ची के पिता ने जब तय समय से ये सब देने से मना कर दिया तो पंच ने बच्ची की सजा को और बढ़ा दिया। बच्ची के पिता का आरोप है कि पंचायत की मांग पूरी ना करने के कारण मासूम की सजा को 2 दिन से बढ़ाकर 11 दिन कर दिया गया।
वहीं इस मामले पर आयोग गम्भीर है और बच्ची के परिवार को हर सम्भव मदद के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा पुलिस जल्द आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन पर उचित कार्रवाई करेगी।