न्यूज डेस्क । दुनिया ने पिछले दिनों तुर्की - सीरिया जैसे देशों में प्रकृति के प्रकोप को भूकंप के रूप में देखा । रिएक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता वाले इस भूकंप के चलते इन देशों में करीब 40 हजार लोगों की मौत हुई है , जबकि लाखों लोग घायल हुए हैं । इस प्रलंयकारी भूकंप के बाद अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हिमालयन रेंज के करीब 20 से ज्यादा क्षेत्रों में रिएक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है । वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानियों ने अपनी जांच में यह अनुमान लगाया है । संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉक्टर आरजे पेरूमल के मुताबिक करीब 2000 किलोमीटर लंबे हिमालयी क्षेत्र में बड़े भूंकप की आशंका वाले 20 और भारत में करीब आधा दर्जन के करीब क्षेत्र हो सकते हैं ।
उत्तराखंड - हिमाचल - असम होंगे प्रभावित
वैज्ञानिकों की मानें तो जिस तरह से तुर्की में प्रचंड भूकंप आया है , कुछ ऐसी ही आपदा हिमालयन रेंज के कुछ इलाकों में भी आ सकती है और यह आपदा वहां से भी बड़ी हो सकती है । वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानियों ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि उत्तराखंड के रामनगर, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और असम क्षेत्र में ऐसे भूकंपों की आशंका सबसे ज्यादा है । इसकी वजह इन क्षेत्रों की धरती के नीचे चल रहे तनाव के बावजूद ऊर्जा का बाहर न निकल पाना है । संस्थान के डॉक्टर पेरूमल का कहना है कि रामनगर क्षेत्र में साल 1255 में आठ से नौ रिएक्टर का भूंकप आया था । इसके बाद यहां कोई बड़ा भूंकप दर्ज नहीं किया गया ।
नेपाल भी है खतरे की जद में
भारत की तरह ही भूगर्भीय संरचना वाले नेपाल में साल 1255 में बेहद शक्तिशाली भूंकप (8.0 से 9.0 ) आया था । इसके बाद 1831, 1934 और 2015 में भारी भूंकप आ चुका है. एक ही माइक्रो सेस्मेसिटी बेल्ट में पड़ने वाले हिमाचल के कांगड़ा में भी 1905 के भूंकप ( 7.8 रिएक्टर स्केल) के बाद कोई भूंकप नहीं आया । सेंट्रल नेपाल और देश का असम प्रांत भी एक बेल्ट में आता है । यहां कम अंतराल में छोटे भूकंप के साथ ही बड़े भूकंप भी आते हैं । नेपाल में साल 1255 के भूकंप को छोड़कर पिछले तीन बड़े भूकंप का अंतराल 51 से 81 साल के बीच रहा और इसी रूट के असम में पिछले 2 बड़े भूकंप 51 से 81 साल के बीच आए हैं ।
जानें आखिर क्या है भूकंप आने का कारण
बता दें कि हमारी पृथ्वी 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है । इन टेक्टोनिक प्लेटों के नीचे लावा मौजूद है । ये 12 प्लेटें इन्ही लावों पर तैरती हैं । जब लावा इन प्लेटों से टकराता है तो जो ऊर्जा निकलती है उसे भूकंप कहते हैं । या हमारी इस बात को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि पृथ्वी की सबसे बाहरी परत जो 12 प्लेटों में विभाजित है । ये प्लेटें लगातार शिफ्ट होती रहती हैं . शिफ्ट होते समय कभी-कभी ये प्लेटें एक दूसरे से टकरा जाती हैं । जिससे भूकंप का एहसास होता है. इससे जमीन भी खिसकती है ।
भूगर्भीय बदलाव का ऐसे भूकंप का कारण
वैज्ञानिकों का कहना है कि भूगर्भीय बदलाव आज के समय में हिमालयन रेंज में आ रहे भूकंप का कारण बनते जा रहे हैं । इस वजह से दोनों प्लेटें एक दूसरे पर लगातार जोर डाल रही है, हालांकि सवाल ये उठता है कि आखिर हिमालयी क्षेत्र की धरती की प्लेटें स्थिर क्यों नहीं हो रही हैं ?
भारत में खतरा चार भागों में बंटा है
भूकंप के खतरे के लिहाज से भारत को चार भांगों में बांटा गया है । पहला उत्तराखंड, दूसरा कश्मीर का श्रीनगर वाला इलाका, तीसरा हिमाचल प्रदेश और चौथा बिहार का कुछ हिस्सा । वहीं गुजरात का कच्छ और पूर्वोत्तर के छह राज्य अतिसंवेदनशील की कैटेगरी में आते हैं । इन्हें जोन पांच में रखा गया है । जोन पांच यानी की इन इलाकों में खतरनाक भूकंप आने की ज्यादा आशंका बनी रहती है । 1934 से अब तक हिमालयी श्रेत्र में पांच बड़े भूकंप आ चुके हैं ।