नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने देश में राष्ट्रीय योग नीति बनाने और सभी स्कूलों में पहली से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए योग को अनिवार्य किए जाने की मांग को मंगलवार खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे फैसलों पर निर्णय लेने के लिए सरकार होती है। हम ऐसा कहने वाले कोई नहीं होते कि स्कूलों में छात्रों को क्या पढ़ाया जाए और क्या नहीं। हम यह निर्देश देने वाले कोई नहीं है कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जाए। यह काम सरकार का है हमारा नहीं। ऐसे में हम कैसे इस याचिका पर कोई निर्देश जारी कर सकते हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वकील और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय और जेसी सेठ ने यह याचिका दाखिल कर मांग की थी कि देश में राष्ट्रीय योग नीति बनाने के साथ ही सभी स्कूलों में पहली से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए योग को अनिवार्य किया जाए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए इस तरह का कोई निर्देश जारी करना संभव नहीं है। स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए यह मौलिक अधिकार नहीं है। यायिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की थी कि वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय, NCERT, NCTE और CBSE को यह निर्देश दे कि वे 'जीवन, शिक्षा और समानता जैसे विभिन्न मौलिक अधिकारों की भावना को ध्यान में रखते हुए पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए 'योग और स्वास्थ्य शिक्षा' की मानक किताबें उपलब्ध कराएं।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर किसी भी संस्थान को कोई निर्देश देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के फैसले सरकार लेती है, हम नहीं।