यूनाइटेड नेशंस: बुधवार को महिला दिवस है। जोरशोर से हर ओर मनाने की तैयारी है। महिला सशक्तिकरण पर भी बात होगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार संसद में महिलाओं की नुमाइंदगी में भारत अपने पड़ोसियों से बहुत पीछे रह गया है। 2016 में उसका रिकॉर्ड एशिया के अन्य देशों के मुकाबले बहुत खराब रहा है। हालांकि महिलाओं को राजनीति में मौके देने के मामले में एशिया के बाकी देश भी बहुत बेहतर नहीं रहे, लेकिन फिर भी वहां संसद में महिलाओं की मौजदूगी के मामले में 0.5 परसेंट की ग्रोथ देखी गई है। भारत में यह भी नहीं है। यह रिपोर्ट इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन के हवाले से वुमन इन पार्लियामेंट इन 2016- द इयर इन रिव्यू नाम से जारी की गई है। 2016 में बढ़ा परसेंटेजइस रिपोर्ट के मुताबिक एशियाई देशों की संसदों में महिलाओं की मौजूदगी करीब 0.5 परसेंट से बढ़ी है। 2015 में यह एशियाई देशों की संसदों में 18.8 परसेंट महिलाएं थीं जो 2016 में बढक़र 19.3 परसेंट हो गईं। यह बढ़ोतरी ईरान, जापान, लाओस, मंगोलिया, फिलीपींस, साउथ कोरिया और वियतनाम में दिखी लेकिन भारत में नदारद रही। भारत में लटका रहा बिलभारत में संसद में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने के लिए एक बिल पेश किया गया था, लेकिन राजनीतिक दलों की खींचतान में यह बिल लटक गया। लोकल लेवल पर तो काम हुआ, लेकिन नेशनल लेवल पर महिलाओं से जुड़ा बिल लटका ही रहा।