हरिद्वार। प्रदेश में नई सरकार के बनते ही अधिकारी और विभाग भी हरकत में आ गए हैं। खासकर सफाई अभियानों को लेकर। उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश दिया था कि धर्मनगरी में अवैध तरीके से सीवर कनेक्शन वाले होटल, आश्रम, धर्मशाला और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की जाए। कार्रवाई में देरी पर हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम ने हरिद्वार में गंगा को प्रदूषित करने वाले 79 केन्द्र को सील करने का नोटिस भेजा है। नगर आयुक्त ने डीएम से प्रशासनिक एवं पुलिस से मदद मांगी है।
24 घंटे में जवाब नहीं मिला तो सील
गौरतलब है कि गंगा में गंदगी फैलाने वाली संस्थाओं के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उन संस्थानों पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। अदालत के आदेश के बावजूद उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके लिए कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगाया है। अब इसके बाद निगम के अधिकारियों ने एक बैठक की। इसके बाद करीब 79 संस्थानों को पहचान कर उन्हें नोटिस भेजने का निर्णय लिया गया। हरिद्वार के नगर आयुक्त अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि नोटिस मिलने के 24 घंटे में जवाब न देने वाले संस्थानों को सील कर दिया जाएगा। संस्थानों को सील करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।
गोशाला एवं आश्रमों की तादाद काफी
आपको बता दें कि शहर के घोसियान, अंबेडकर मोहल्ला, भूपतवाला, कनखल आदि क्षेत्र में गोशाला व आश्रम हैं जो खुले में या नाले के माध्यम से गोबर फेंक रहे हैं। इनको चिह्नित किया गया है।
गोशाला पर लगेगा जुर्माना
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अब हरिद्वार नगर निगम प्रशासन ने भी अपनी कमर कस ली है। खुले में या नालियों में गोबर फेंक कर रहे गोशालाओं और आश्रमों को नोटिस भेजा जा रहा है। हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में खुले व नालियों में गोबर डालने वाली 30 गोशाला एवं आश्रमों को नगर निगम ने चिह्नित किया है। महापौर मनोज गर्ग के आदेश पर इनको नोटिस भेजा जा रहा है कि वे खुले में गोबर न डालें। नोटिस में निगम प्रशासन ने गोशाला व आश्रमों को खुले व नालियों में गोबर न फेंकने की हिदायत दी है। साथ ही गोबर का निस्तारण करने का उपाय करने को भी कहा गया है। गोशाला संचालकों को भेजे गए नोटिस में गोबर का निस्तारण अपने स्तर पर करने को कहा गया है। ऐसा न करने पर पांच हजार का जुर्माना वसूला जाएगा। नोटिस के बाद दोबारा ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं एसटीपी न लगाकर गंगा को प्रदूषित करने वालों पर कार्रवाई के लिए तीन टीमों का गठन किया गया है।