देहरादून । चीन के साथ सीमा विवाद के चलते भारतीय सुरक्षाबलों को पड़ोसी देश से लगती सीमा पर अलर्ट पर रखा गया है । हालांकि भारत सरकार इस बीच अपने बॉर्डर तक सड़क पहुंचाने के काम में भी जुटी हुई है । इसी क्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) की अध्यक्षता में स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक हुई , जिसमें सामरिक महत्व के तीन बड़े प्रस्तावों पर मुहर लगा दी गई । इसमें सबसे अहम रहा चीन से लगी गंगोत्री नेशनल पार्क की सीमा में तीन सड़कों के निर्माण के लिए वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव को मंजूरी देना । ये तीनों सड़क गंगोत्री नेशनल पार्क की सीमा में चीन से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा को जाती हैं । इन सड़कों का निर्माण केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग करेगा ।
विदित हो कि गंगोत्री नेशनल पार्क के भीतर चीन सीमा से लगी भारतीय सीमा में जिन तीन सड़कों के निर्माण को फॉरेस्ट लैंड ट्रांसफर को मंजूरी दी गई यह पूरा क्षेत्र हाई एल्टीट्यूड वाला है । कोल्ड डेजर्ट कहे जाने वाले इस इलाके में सड़क बनाना आसान काम नहीं है । वृक्ष विहीन इस क्षेत्र में सांस लेने में परेशानी होती है । इन क्षेत्रों में बर्फबारी के चलते जहां काम करने का समय कम मिलता है वहीं यहां लोकल लेबर भी नहीं मिलती । जबकि यहां काम करने के लिए कुछ सुलझे हुए मजदूर चाहिए होते हैं।
इस सबके बीच सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उत्तरकाशी जिले में चीन से लगी अंतरराष्टीय सीमा के निकट सुमला से थांगला तक करीब 12 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए तीस हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण को मंजूरी दे दी गई । इसी क्रम में उत्तरकाशी जिले में ही चीन से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट त्रिपाणी से रंगमंचगाड तक छह किलोमीटर लंबे मोटर मार्ग निर्माण के लिए 11 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई ।
इतना ही नहीं चीन से लगी सीमा को जाने के लिए मंडी से सांगचोक्ला तक 17 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण के लिए 31 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी गई है ।बैठक में जानकारी दी गई कि चीन सीमा के निकट गंगोत्री नेशनल पार्क में महर रेजीमेंट द्वारा नीलापानी और सुमला ब्लॉक में ऑपरेशनल ट्रेक के निर्माण और कारछा में हेलिपैड विस्तारीकरण को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी गई है।
वहीं गंगोत्री नेशनल पार्क में ऐतिहासिक गर्तांग गली के निर्माण के लिए यदि राज्य स्तर पर एजेंसी सक्षम न हो तो नेशनल लेवल पर टेंडर कॉल करने की मंजूरी दी गई ।