देहरादून। उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क में साल 2015 में करीब 21 फाॅरेस्ट गार्डों की नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर अब कानूनी शिकंजा कसेगा। नैनीताल हाईकोर्ट ने पार्क के निदेशक की जांच को सही मानते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने इन अभ्यर्थियों की ओर से डाली गई याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने सही प्रमाणपत्रों वाले उम्मीदवारों की भर्ती के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि अगर एक भी उम्मीदवार के प्रमाणपत्र सही नहीं थे तो उसे नियुक्ति देना सही नहीं था।
गौरतलब है कि कोर्ट के इस आदेश के बाद अब तत्कालीन 5 वन अधिकारियों पर कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है। इन अधिकारियों में 4 के ऊपर कार्रवाई की संस्तुति पहले की की जा चुकी है। इन अधिकारियों पर दैनिक श्रमिकों से काम के नाम पर लाखों रुपये का घोटाला भी किया गया है। बता दें कि राजाजी पार्क में भर्ती किए गए इन सभी उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों को लेकर की गई शिकायत के बाद इसकी जांच की गई।
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यहां बता दें कि जांच में प्रमाणपत्रों के फर्जी होने का शक होने पर पार्क निदेशक ने सभी की नियुक्ति पर रोक लगा दी। इसके बाद ये सभी वनरक्षक हाईकोर्ट में चले गए। हाईकोर्ट ने पार्क के डायरेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर दोबारा जांच के आदेश दिए, दोबारा हुई जांच में भी प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए और किसी को नियुक्ति नहीं दी गई। ऐसे में वनरक्षकों ने एक बार फिर कोर्ट पहुंचकर निदेशक के खिलाफ अदालत की अवमानना का आरोप लगा दिया। अब कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए निदेशक की जांच को ही सही माना है और कहा कि हाईकोर्ट ने सही प्रमाणपत्रों वाले उम्मीदवारों को ही नियुक्ति देने के आदेश दिए थे।