देहरादून। हरिद्वार के सिडकुल में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। सरकार द्वारा कराए गए विशेष आॅडिट में इस बात का पता चला है। रिपोर्ट के मुताबिक विकास कार्यों का अधिक भुगतान, अनियमितताओं और बिना जरुरी वाले कार्यों में अरबों रुपये लुटा दिए गए इसमें सिडकुल केअफसरों के अलावा यहां काम करने वाली कार्यदायी संस्था विशेष तौर पर यूपीआरएनएन ने भी जमकर मलाई काटी है। अब रिपोर्ट शासन में उच्च स्तर पर दी गई है, इस पर आगे की कार्रवाई का निर्णय विधानसभा सत्र के ठीक पहले लिया जाएगा।
बड़े पैमाने पर अनियमितता
गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम लि. (सिडकुल) में सरकारी धन की जमकर लूट मचाई गई। सिडकुल में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के निर्देश पर कराए गए आॅडिट मंे इस बात का खुलासा हुआ कि सितारगंज, सेलाकुई, काशीपुर समेत राज्य के तमाम औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर और भीतर अरबों रुपये के विवादित कार्यों को मंजूरी दी गई। मामले के सीएम के संज्ञान मंे आने के बाद इसकी आॅडिट कराई गई। आॅडिट रिपोर्ट में अनियमितताओं और गड़बड़ी से जुड़े कुल 46 मामलों में घपलों की बात सामने आई है।
ये भी पढ़ें - राज्य सरकार गरीब छात्रों को मुफ्त में देगी एनडीए और सीडीएस की कोचिंग, टैलेंट हंट के जरिए चुने...
सुपरटेक पर भी शिकंजा
यहां बता दें कि निर्माण कार्य के लिए करोड़ों का ठेका जारी किया गया उनमें काफी घटिया स्तर के सामानों का इस्तेमाल किया गया। आॅडिट रिपोर्ट आने के बाद वित्त सचिव ने बैठक बुलाई लेकिन सिडकुल में सिविल कार्य को देखने वाले महाप्रबंधक संजय रावत और पंकज गुप्ता मेडिकल अवकाश पर चले गए हैं। सिडकुल के अलावा दूसरे विभागों में भी धन का बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई। यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि पंतनगर और हरिद्वार समेत अन्य जगहों पर सर्किल रेट से बेहद कम दरों पर सुपरटेक बिल्डर्स को भूमि आवंटित करने के मामले में विजिलेस जांच के आदेश जारी किए गए हैं। बता दें कि सुपरटेक को बेहद कम कीमतों पर जमीनें दी गईं लेकिन उसने आज तक भी जमीन का पैसा सिडकुल को नहीं दिया है।