देहरादून। राज्य को आयुष प्रदेश बनाने की कवायद में जुटी सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में ऐसी दवाएं मुहैया कराई जा रहीं हैं जिससे मरीजों के ठीक होने के बजाय बीमार होने की संभावना ज्यादा है। ताजा मामला राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय मियांवाला से जुड़ा है जहां अस्पताल में फफूंद लगी दवा की आपूर्ति कर दी गई।
दवाइयों की खराब गुणवत्ता
गौरतलब है कि राज्य के सभी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में बेहद खराब दवाईयों को सप्लाई किया जा रहा है। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय मियांवाला में दवाइयों की गुणवत्ता को देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। यहां मरीज को लघु शूतशेखर रस टैबलेट देने के लिए नया डिब्बा खोला गया तो उसमें फफूंद लगी मिली। बता दें कि शूतशेखर रस एक रसायन औषधि है जिसके इस्तेमाल से पित्त बढ़ने से होने वाले रोग दूर होते हैं। एसिडिटी, पेट दर्द, पेट फूलना, उल्टी, दस्त, अल्सर आदि रोगों में इसे प्रयोग किया जाता है।
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मरीजों की घटती तादाद
आपको बता दें कि पूरे राज्य में करीब 600 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य इकाइयां हैं जिनमें करीब 150 से 200 तरह की दवा सप्लाई होती हैं। यहां बता दें कि प्रांतीय आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा सेवा संघ दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठा चुका है। चिकित्सकों का कहना था कि दवाओं की खराब गुणवत्ता के कारण मरीज अस्पताल आने से कतराने लगे हैं। अभी हाल में कई दवाओं के सैंपल भी जांच में फेल हो गए थे। यहां गौर करने वाली बात है कि राज्य के आयुर्वेदिक अस्पतालों में रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इलाज कराने आते हैं लेकिन खराब दवाओं की वजह से अब उनकी संख्या में काफी गिरावट आई है। जिला आयुर्वेद अधिकारी डाॅक्टर के के सिंह का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में ही नहीं है अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच कराई जाएगी।