Monday, April 29, 2024

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विकास और पर्यावरण दोनों की दोस्ती जरूरी, लेकिन पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती -त्रिवेंद्र सिंह रावत

अंग्वाल संवाददाता
विकास और पर्यावरण दोनों की दोस्ती जरूरी, लेकिन पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती -त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को 'हिमालय क्षेत्र में आपदा सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चरः संभावनाएं एवं चुनौतियां' विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस दौरान सीएम ने कहा कि विकास और पर्यावरण दोनों की दोस्ती जरूरी है। विकास और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक बने यह आज आवश्यक है। एक तरफ विकास की मांग और एक तरफ पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धताएं इनके बीच का अंतर्द्वंद चुनौतीपूर्ण होता है। जो भी विकास कार्य हो वह आपदा प्रबंधन के मानकों के अनुसार हो। लोग सुरक्षित रहें यह सरकार की चिंता है। 

पिछले कुछ सालों में आपदाएं बढ़ीं

सीएम रावत ने कार्यशाला में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में देवभूमि में कई प्राकृतिक आपदाएं आईं हैं। राज्य में करीब 38 हल्के भूकंप आए हैं। इनसे एनर्जी रिलीज होती रहती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भूकंप अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाओं में जिस प्रकार की वृद्धि दर्ज की गई है,  उसके लिए हमारे द्वारा किया गया पर्यावरणीय असंतुलन जिम्मेदार है। 

बचाव उपचार से बेहतर


इस दौरान सीएम ने कहा कि बचाव उपचार से बेहतर होता है। आपदाओं से बचने के लिए सबसे बेहतर तरीका है कि हम उनकी तैयारी रखें। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण शैली, पर्यावरण का ध्यान और लगातार सतर्कता यह तीन बातें हमें सदैव ध्यान में रखनी चाहिए।  उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में परंपरागत वास्तु शैली की तारीफ भी की। उत्तरकाशी के भूकंप का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यमुना घाटी में पुराने निर्माण शैली के भवनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।

शुरुआती स्कूली बच्चों से

इस दौरान कार्यक्रम में शिरकत करने पहुचे भारत सरकार के एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के सदस्य प्रोफेसर हर्ष कुमार गुप्ता ने कहा कि भूकंपों के पूर्वानुमान से कहीं अधिक आवश्यक इनके लिए तैयार होना है। उन्होंने कहा कि भूकंपों का सबसे अधिक नुकसान प्रायः स्कूलों में देखा जाता है अतः यह आवश्यक है कि इन की तैयारी बच्चों से की शुरू की जाए।

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