देहरादून । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी पर मंडरा रहे खतरे के बीच बीच सीएम सोमवार सुबह गैरसेंण जाने के बजाए दिल्ली पहुंच गए हैं , जहां दोपहर 4.30 बजे उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात होगी । उनको सीएम पद से हटाए जाने की अटकलों के बीच प्रदेश के भाजपा नेताओं ने एकसुर में किसी भी तरह के विरोध होने की बातों को खारिज किया । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि यह सब हवाई बातें हैं , जिनका कोई जमीनी छोर नहीं है । भाजपा में सब ठीक है और किसी तरह का कोई गतिरोध नहीं हैं । वहीं नैनीताल से भाजपा सांसद अजय भट्ट ने भी कहा कि उनके पास तो ऐसी कोई सूचना नहीं है । सीएम का दिल्ली आना जाना लगा रहता है । सीएम दिल्ली पार्टी की बैठक में हिस्सा लेने गए हैं , जहां सरकार के 4 साल पूरे होने के कार्यक्रमों पर बात होगी।
विदित हो कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से असंतुष्ट विधायकों और सांसदों ने समय समय पर भाजपा आलाकमान से उनकी शिकायत की है । इस सबके बाद पिछले दिनों दो केंद्रीय पर्यवेक्षक देहरादून पहुंचे थे , जिन्होंने आज अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को दे दिया है ।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश के प्रभारी महासचिव दुष्यंत गौतम ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा है यह तो आने वाले समय बताएगा , लेकिन इस सबके बीच एकाएक गैरसेंण जाने के बजाए सीएम का दिल्ली जाना , राजनीति को गर्मा गया ।
खबरें उठीं हैं कि भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री को बदलने का मन बना लिया है । इसके लिए धनसिंह रावत और सतपाल महाराज समेत सांसद रमेश बलूनी और अजय भट्ट के नाम पर मंथन किया जा रहा है ।
हालांकि खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि उनके पास इस तरह की कोई सूचना नहीं है कि सीएम रावत को हटाया जा रहा है । यह सब सिर्फ कुछ लोगों की उड़ाई अफवाह है । हमारी सरकार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में हैं और उनका दिल्ली जाना , 18 मार्च को प्रदेश में सरकार के चार साल पूरे होने के कार्यक्रमों के मद्देनजर हो सकता है । वहीं कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि सीएम बदलने की बातें सिर्फ काल्पनिक हैं । ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है । सरकार मजबूती के साथ खड़ी है । उन्होंने कहा कि सरकार के चार साल पूरे होने के अवसर पर और कार्यसमिति के मुद्दों पर बात करने के लिए सीएम दिल्ली गए होंगे ।
वहीं जानकारों का कहना है कि चुनावी साल से एक वर्ष पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री को पद से हटाने का गलत संदेश जाएगा , जिसका लाभ विपक्षी दल उठा सकते हैं । ऐसे में भी भले ही अंदरखाने गतिरोध हो , लेकिन अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इसकी आशंका कम ही है कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पद से हटाया जाएगा ।