देहरादून, राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने अपना ‘प्लान बी’ तैयार कर लिया है। हालांकि पार्टी पहले से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही है। अगर उसे बहुमत नहीं भी मिलती है तो वह क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों से हाथ मिलाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस का बसपा के साथ जाने की ज्यादा उम्मीद जताई जा रही है। कांग्रेस का मानना है कि सत्ता के लिए गठबंधन की नौबत आने पर वह और बसपा ज्यादा बेहतर साथी साबित होंगे।
भाजपा ने दी टक्कर
गौरतलब है कि उत्तराखंड में मतदान तो हो चुका है। इसका परिणाम 11 मार्च को आएगा। चुनाव परिणाम को लेकर दोनों बड़े दल अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक कांग्रेस के अंदरखाने भी इस बात को माना जा रहा है कि भाजपा ने अपने संसाधनों के इस्तेमाल से उसे पूरी टक्कर दी है। ऐसे में वे बहुमत न मिलने की स्थिति में क्षेत्रीय और निर्दलीय से समर्थन लेने के रास्ते खुले रखे हैं।
बसपा से लेगी समर्थन
मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहले कह चुके हैं कि राज्य के विकास के लिए अच्छे लोगांे से समर्थन लेने से परहेज नहीं किया जाएगा। उत्तराखंड क्रांतिदल ने पहले ही किसी पार्टी को समर्थन न देने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी पर कांग्रेस ज्यादा भरोसा जता रही है। साथ ही निर्दलीयों पर भी पार्टी की नजर है। इनमें कांग्रेस के खुद के और भाजपा के बागी भी शामिल हैं।
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इन नेताओं पर है नजर
कांग्रेस की नजर आशा नौटियाल, ओमगोपाल रावत,प्रदीप थपलियाल, आर्येद्र शर्मा, हेम आर्य, दिवाकर भट्ट, शूरवीर सिंह सजवाण, संदीप गुप्ता, हरेंद्र बोरा, रामसिंह कैड़ा और किशन भंडारी पर बनी हुई है।
निर्दलीय होंगे निर्णायक
आपको बता दें कि उत्तराखंड के चुनावी इतिहास में हर बार तीन निर्दलीय प्रत्याशी ऐसे रहे हैं जिन्होंने हर बार जीत हासिल की है। ऐसे में इस बार का चुनाव उन प्रत्याशियों के लिए भी अग्नि परीक्षा साबित हो सकती है। अगर ये जीत जाते हैं तो सरकार बनाने में इनकी भूमिका काफी अहम होगी।