हरिद्वार। प्रदेश के राजकीय वाद्ययंत्र ढोल और उसे बजाने वालों के संरक्षण के लिए संस्कृति विभाग की ओर से अनोखी पहल की जा रही है। विभाग ने इसके लिए 1500 ढोल वालों को एक साथ ढोलनाद करने को कहा है जिससे यह एक रिकाॅर्ड बन जाएगा। आगामी 6 से 10 अगस्त तक संस्कृति विभाग द्वारा ‘ऊं नमो नाद’ कार्यशाला का आयोजन हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में किया जा रहा है। 10 अगस्त यानी कि आखिरी दिन सैंकड़ों ढोलवादक एक साथ ढोलनाद कर रिकाॅर्ड बनाएंगे।
पंजीकरण जारी
गौरतलब है कि इसके लिए संस्कृति विभाग में इस आयोजन पर हिस्सा लेने वाले करीब 1000 ढोल वादक अपना पंजीकरण करा चुके हैं और हर दिन बड़ी संख्या में लोग पंजीकरण करा रहे हैं। पंजीकरण शुक्रवार तक कराया जा सकेगा। प्रदेश के प्रसिद्ध लोकगायक प्रीतम भरतवाण और मशहूर ढोल वादक ओंकारदास के नेतृत्व में होने वाली कार्यशाला की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। कार्यशाला में ढोलवादकों को ढोल पर बजाई जाने वाली नौबत, शबद, धुंयाल, चौरात, सुल्तानी ताल, पंडौ नृत्य, देवी-देवता का आह्वान, गढ़वाल-कुमाऊं और जौनसार के वादकों की विशिष्ट शैली के बारे में बताया जाएगा। किसी एक ताल के लिए विशेष प्रशिक्षण देकर बाकायदा उसकी कोरियोग्राफी की जाएगी।
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सभी ढोलवादकों के लिए एक जैसी ड्रेस
आपको बता दें कि ढोलवादकों के रहने, खाने और आने-जाने की व्यवस्था संसकृति विभाग ही करेगा। इसके साथ ही उन्हें एक जैसी ड्रेस भी दी जाएगी। कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी ढोलवादकों को प्रतिदिन 500 रुपये मानदेय और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। इस आयोजन के लिए संस्कृति विभाग ने 30 समन्वयक बनाए हैं। कार्यशाला के बाद इन ढोलवादकों में से ही 15 गुरुओं को चुना जाएगा जो बाकी के वादकों को ढोलसागर विद्या की शिक्षा देंगे। प्रेमनगर आश्रम के जिस गोवर्द्धन हाल में प्रस्तुति होगी, उसकी दर्शक क्षमता करीब 15 हजार है इसके साथ ही पूरी कार्यशाला का दस्तावेजीकरण भी होगा।
1356 ढोल एक साथ बजाने का रिकॉर्ड
प्रदेश की संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने बताया कि कोल्हापुर महाराष्ट्र में 1356 ढोलवादकों द्वारा एकसाथ दिया गया परफाॅरमंेस गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकाॅडर्स में दर्ज है। ऐसे में उसे तोड़ने के लिए 1500 ढोलवादकों की जरूरत होगी। जागर लोकगायक प्रीतम भरतवाण ने बताया कि ढोलवादक ही हमारे लोक कलाकार हैं। उनके संरक्षण के लिए इस तरह के आयोजन काफी जरूरी हैं।