देहरादून । भले ही केंद्र की मोदी सरकार ने देश में प्रदूषण प्रमाण पत्र को लेकर कड़े जुर्माने का प्रावधान कर दिया हो लेकिन उत्तराखंड सरकार और संबंधित विभाग इस मुद्दे पर सजग नहीं हैं । मिली जानकारी के मुताबिक , उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम की बसें की समय रहते सर्विस नहीं होने के चलते वह प्रदूषण का बड़ा कारण बन गई हैं । भले ही राज्य की सरकार को संबंधित विभाग इस बारे में ज्यादा सजग न हों , लेकिन दिल्ली पुलिस ने राज्य सरकार , परिवहन निगम संबंधी संबंधित विभाग को आईना दिखाया है । इस कड़ी में दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड रोडवेज की (रुद्रपुर और ऋषिकेश डिपो ) की दो बसों का 1-1 लाख रुपये का चालान काटा है । इतना ही दिल्ली पुलिस ने दोनों बसों को सीज भी कर दिया है । दिल्ली पुलिस का कहना है कि उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम की बसें बिना प्रदूषण जांच के राज्य और अन्य प्रदेशों में दौड़ रही हैं।
बता दें कि उत्तराखंड परिवहन निगम के लिए दिल्ली रूट सबसे लाभकारी रूट माना जाता है । जानकारी के मुताबिक प्रदेश के विभिन्न कोनों से प्रतिदिन दिल्ली की ओर करीब 550 बसें भेजी जाती हैं जो लौटकर वापस अपने शहर भी आती हैं ।
इस समय दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है । सुप्रीम कोर्ट की ओर से कई बार राज्य सरकारों को प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर लगाम करने की हिदायत दी है । बावजूद इसके सरकारें उदासीन नजर आ रही हैं । दिल्ली में तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति बनाई गई है।
असल में यह कमेटी पुलिस के साथ मिलकर प्रदूषण फैलाने वाली बसों और अन्य वाहनों के चालान काटने के साथ ही उन्हें जब्त भी कर रही है । जानकारी के अनुसार , उत्तराखंड परिवहन निगम की करीब 550 बसें प्रतिदिन दिल्ली आती हैं । इनमें पुरानी और आयु सीमा पूरी कर चुकी बसें भी शामिल हैं । समय रहते इनकी सर्विस न होने और अपनी आयुसीमा पूरी कर चुकी बसें प्रदूषण फैलाने की भी जिम्मेदार हैं।
हालांकि दिल्ली आने वाले ऐसे वाहनों पर दिल्ली पुलिस और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति नजर जमाए रहती है । ऐसी ही दो बसों का 1-1 लाख रुपये का चालान काटा गया है । इन्हीं में एक रुद्रपुर डिपो की साधारण बस (यूके07पीए-1488) का सोमवार को आनंद विहार में दिल्ली पुलिस ने एक लाख का चालान कर सीज किया। वहीं, इससे दो दिन पूर्व शनिवार को भी ऋषिकेश डिपो की बस (यूके07पीए-1952) का एक लाख का चालान कर सीज किया गया था। जिन दो बसों को सीज किया गया, उनमें प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र थे या नहीं, इस पर संशय है। निगम मुख्यालय का दावा है कि दोनों बसों में वैध प्रमाण पत्र थे, मगर सूत्रों की मानें तो चेकिंग के दौरान बसों में ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं था। कर्मचारी संगठनों की मानें तो अगर बसों में प्रमाण पत्र मौजूद थे तो चालान कैसे कट गया।