देहरादून। लगता है उत्तराखंड सरकार को चुनौती का सामना करने से ही अपनी पारी की शुरुआत करनी पड़ेगी। उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने उत्तराखंड पावर काॅरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) प्रबंधन को आंदोलन की नोटिस थमा दी है। इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा है कि अगर 28 मार्च तक उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो 29 मार्च से वे अनश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
प्रबंधन से नाराजगी
गौरतलब है कि उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, यूपीसीएल प्रबंधन से काफी समय से अपनी 16 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग कर रहा है। इसके लिए 23 मार्च को बातचीत की तारीख तय की गई थी लेकिन अब इसे बदलकर 10 अप्रैल कर दिया गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश चंद्र गुप्ता का कहना है कि इतने लंबे समय के लिए वार्ता टालना गलत है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के रवैये से ऐसा लगता है कि अभियंताओं से जुड़े मामलों को जानबूझकर लटकाया जा रहा है, जिससे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मांग पूरी न होने पर आंदोलन
आपको बता दें इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना कि प्रबंधन बात करे या न करे लेकिन उनकी मांगों को पूरा किया जाए। उनका कहना है कि पहले हुई वार्ता में भी प्रबंधन ने भरोसा दिया था कि आचार संहिता समाप्त होने से पहले ही खाली पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दूसरे मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे अभियंताओं में आक्रोश है। अब इन नाराज अभियंताओं ने 29 मार्च से यूपीसीएल परिसर में धरने-प्रदर्शन का निर्णय लिया है। इसके बाद भी अगर इनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ये अनिश्चित कालीन हड़ताल करेंगे। ऐसे में अब यह देखना होगा कि यूपीसीएल प्रबंधन इस मामले से कैसे निपटता है।
ये हैं सोसिएशन की प्रमुख मांगें
-मुख्य, अधीक्षण, अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों शीघ्र पदोन्नति की जाए।
-अधिकारी-कर्मचारियों को दिए आरोप पत्र शासन से विधिक राय लेते हुए निरस्त किए जाएं।
-सातवें वेतन आयोग की सिफारिश शीघ्र लागू हों और समयबद्ध वेतनमान की व्यवस्था के अनुसार ही वेतनमान का निर्धारण हो।
-अभियंताओं की सेवा नियमावाली को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही रखा जाए।
-काशीपुर और रुड़की वितरण मंडल को निजी हाथों में सौंपने की कार्यवाही तत्काल प्रभाव से निरस्त हो।
-अभियंताओं को अवकाश नकदीकरण की सुविधा दी जाए।
-सहायक अभियंताओं की नियुक्ति में सीधी भर्ती का कोटा 58.33 फीसद किया जाए।