देहरादून। ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड बिजली के मामले में और मजबूत होगा। राज्य के 300 मेगावाॅट वाले लखवाड़ पनबिजली परियोजना से उत्पादित होने वाली पूरी बिजली पर राज्य का ही अधिकार होगा। वहीं 600 मेगावाॅट वाले किसाऊ परियोजना की 50 फीसदी बिजली पर राज्य सरकार का हक होगा। इससे भविष्य में उत्तराखंड को उक्त दोनों अहम परियोजनाओं से कुल 630 मेगावाट बिजली मिलेगी। बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी के साथ हुई बैठक में दोनों परियोजनाओं पर राज्य का पक्ष जोरदार तरीके से रखा था।
लखवाड़, राष्ट्रीय परियोजना घोषित
गौरतलब है कि राज्य में पानी के कुदरती श्रोतों की कमी नहीं है ऐसे में यहां कई पनबिजली परियोजनाएं शुरू की गई हैं। केन्द्र की तरफ से भी इन परियोजनाओं को लगातार मदद दी जा रही है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि लखवाड़ परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जा चुका है। परियोजना में ऊर्जा उत्पादन का पूरा खर्च उत्तराखंड उठाएगा। इस पर सभी राज्यों की सहमति मिल चुकी है। बैठक में यह तय हुआ कि परियोजना के जल का वितरण वर्ष 1994 के समझौते के आधार पर किया जाएगा। सभी संबंधित राज्य इस समझौते पर अपनी सहमति शीघ्र जारी करेंगे।
ये भी पढ़ें - राज्य के खाली खजाने का खामियाजा भुगत रहे कर्मचारी, नहीं मिल रहा सातवें वेतनमान का भत्ता
आधी बिजली उत्तराखंड और आधी हिमाचल को
मुख्यमंत्री रावत ने किसाऊ के संबंध में बिजली और पानी का बंटवारा लखवाड़ के अनुसार करने की मांग की लेकिन मंत्री ने कहा कि किसाऊ परियोजना से पैदा होने वाली बिजली का 50 फीसदी उत्तराखंड और 50 फीसदी हिमाचल प्रदेश को दिया जाएगा।