देहरादून। राज्य में के डीएवी काॅलेज में हुए बहुचर्चित अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाले में पुलिस ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। काॅलेज के मौजूदा प्राचार्य डाॅक्टर देवेन्द्र भसीन की तहरीर पर पुलिस ने काॅलेज के पूर्व प्राचार्य समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। समाज कल्याण विभाग इसके लिए काॅलेज के छात्रवृत्ति प्रबंधन समिति को जिम्मेदार ठहरा चुका है। शुरुआती जांच में आरोप सही पाए गए हैं अब एसएसपी के आदेश पर जांच अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
पूर्व प्राचार्य के साथ कई और पर आरोप
गौरतलब है कि काॅलेज के छात्रों की छात्रवृत्ति के नाम पर समाज कल्याण विभाग से लाखों रुपये की निकासी की गई लेकिन छात्रों को यह मिली ही नहीं। काॅलेज के मौजूदा प्राचार्य ने मामले के प्रकाश में आने के बाद डालनवाला पुलिस थाने में तहरीर दर्ज कराई थी जिसमें काॅलेज के तत्कालीन प्राचार्य डा. दिनेश कुमार, छात्रवृत्ति कमेटी से जुड़ीं डाॅक्टर रंजना रावत, आरके सिंह, छात्रवृत्ति प्रभारी पीयूष भटनागर समेत अन्य के खिलाफ अनुसूचित जाति के छात्रों के मिली छात्रवृत्ति के 2.36 करोड़ रुपये के गबन की बात कही गई थी।
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इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
इस मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर यशपाल सिंह बिष्ट ने बताया कि घोटाले की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि चारों आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 और 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अब एसएसपी के निर्देश पर जांच अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी उसके बाद जरूरी दस्तावेजों के खंगाला जाएगा।
छात्रवृत्ति का लेखा जोखा देने में असमर्थ
यहां बता दें कि समाज कल्याण विभाग द्वारा पहले ही घोटाले के लिए काॅलेज के छात्रवृत्ति प्रबंध समिति को लिए इसके जिम्मेदार ठहराया जा चुका है। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने विभागीय रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है। जांच अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल, महेश प्रताप सिंह और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी वीपी काला की समिति में सामने आया कि 2009-10 से वर्ष 2012-13 के दौरान अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं कुल फीस 671.39 लाख का लेखा-जोखा कॉलेज प्रबंधन ऑडिट टीम को नहीं दे पाया। जांच समिति का कहना है कि डीएवी प्राचार्य कॉलेज को मांगपत्र के अनुसार धनराशि पात्र छात्रों को वितरण के लिए दी गई थी। जिसमें 233.03 लाख के समायोजन प्रमाण पत्र कार्यालय को कॉलेज ने नहीं दिए हैं। जांच समिति द्वारा रिपोर्ट में बताया गया है कि 63.20 लाख रुपये अभी भी कॉलेज के छात्रवृत्ति खाते में हैं। हालांकि पुलिस जांच में समाज कल्याण विभाग भी कार्रवाई के घेरे में आ सकता है। इंस्पेक्टर यशपाल सिंह बिष्ट ने बताया कि जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं उसके अलावा और भी लोगों के इसमें शामिल होने का शक है उनका खुलासा भी पुलिस की जांच में होगी।