देहरादून। जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने की यूरोपीय तकनीक अपनाई जाएगी। इसके लिए आग बुझाने के लिए अब आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन उपकरणों का सफल परीक्षण किया जा चुका है और उम्मीद है कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक कार्मिकों को लीफ ब्लोअर और स्पिं्रकलर जैसे उपकरण उपलब्ध कर दिए जाएंगे। प्रदेश के राजाजी टाईगर रिजर्व प्रशासन ने जंगल में लगने वाली आग से निपटने के लिए यह विश्वस्तरीय उपाय किया है।
आग बुझाने की नई तकनीक
गौरतलब है कि उत्तराखंड का 70 फीसदी से ज्यादा भू-भाग वनों से घिरा हुआ है। इसमंे आए दिन किसी न किसी कारण से आग लगने की खबर आती रहती है। फायर सीजन के दौरान लगने वाली आग को बुझाने के वन प्रशासन के पास औजार के तौर पर झांपा ही रहा है। ऐसे में राजाजी प्रशासन पुराने पारंपरिक तरीके से हटकर कुछ नया करने की योजना बनाई है। अब करीब 819.54 वर्ग किमी के कोर और 255.63 वर्ग किमी के बफर जोन में फैले रिजर्व में अब आग बुझाने के लिए ठीक वैसे ही आधुनिक उपकरण इस्तेमाल में लाए जाएंगे, जैसे यूरोपीय देशों में प्रयुक्त होते हैं।
उपकरण मंगाने के हुए आदेश
राजाजी पार्क के निदेशक सनातन सोनकर का कहना है कि अधिकांश युरोपीय देशों में स्प्रिंकलर और लीफ ब्लोअर के जरिए आग पर काबू पाया जाता है। यही प्रक्रिया अब यहां भी अपनाई जाएगी। आपको बता दें कि ट्रायल के तौर पर ये उपकरण मंगाए गए थे जिनका राजाजी के 10 रेंजों में प्रयोग सफल रहा है। ऐसे में अब उम्मीद यही की जा रही है कि अगले महीने के पहले हफ्ते में नई मशीनें आ जाएंगी। इसके बाद पार्क प्रशासन ने अब 10-10 लीफ ब्लोअर एवं स्पिं्रकलर मंगाने के आदेश दे दिए हैं। हाइड्रेंट सिस्टम के लिए दो ट्रैक्टर व 10-10 हजार लीटर क्षमता के दो टैंकर मंगा दिए गए हैं। इन्हें रिजर्व की दक्षिणी सीमा में तैनात किया गया है।
उपकरण की खासियत
लीफ ब्लोअर- लाने-ले जाने में आसान, एक घंटे में एक किमी फायर लाइन की सफाई करने व फायर लाइन काटने में सक्षम, एक लीटर पेट्रोल से चलता है डेढ़ घंटा।
कैरी स्प्रिंकलर - 10 लीटर क्षमता का टैंक, ले जाने में आसान।
हाइडेंट सिस्टम - ट्रैक्टर के जरिए पानी के टैंकर से ठीक उसी तरह आग बुझाई जाती है, जैसी फायर ब्रिगेड से। यह 100 मीटर तक पानी की बौछार छोड़ने में सक्षम है।
ये उपाय किए गए हैं
402.56 किमी मोटर मार्ग दुरुस्त किए गए हैं।
39 क्रू-स्टेशन
13 वाॅच टावर बनाए गए हैं।
150 कच्चे वाटर होल तैयार किए गए हैं।
655.61 किमी फायर लाइनों का फुकान
150 पक्के वाटर होल बनाए गए हैं।
240 कार्मिक आग बुझाने को तैनात रहेंगे।