जोशीमठ। राज्य में माओवादियों की घुसपैठ के बाद अब फूलों की घाटी में चीनी घुसपैठियों की आहट महसूस की जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों ने एक टूर गाइड के साथ 13 चीनी पर्यटकों को बिना अनुमति घाटी में प्रवेश करने के आरोप मंे पकड़ लिया है। अब इनसे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ के बाद वन अधिनियम के तहत इनसे 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूल कर छोड़ दिया गया। यहां पर सवाल यह उठ रहा है कि ये लोग यहां तक कैसे पहुंचे? क्या विभाग के अधिकारी भी इसमें शामिल थे?
जुर्माना लगाकर छोड़ा
गौरतलब है कि वन विभाग को स्थानीय खूफिया एजेंसी ने यह जानकारी दी थी कि कुछ चीनी मूल के लोग एक टूर आॅपरेटर के साथ फूलों की घाटी की तरफ जा रहे हैं। उनके पास घाटी में घूमने की अनुमति नहीं है। इसके बाद वन विभाग की टीम को वहां भेजा गया। इस टीम ने इन सभी को घाटी से करीब 4 किलोमीटर पहले पकड़ लिया। पूछताछ में उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात का पता नहीं था आॅफ सीजन में भी विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। हालांकि चीनी मूल के लोगों को घुमाने वाले गाइड ने बताया कि उसने मेल के जरिए अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। पकड़े जाने के बाद उन्हें जोशीमठ रेंज कार्यालय लाकर पूछताछ करने के बाद 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।
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युनेस्को ने किया विश्व धरोहर घोषित आपको बता दें कि फूलों की घाटी को युनेस्को ने साल 2004 में विश्व धरोहर घोषित किया था। यहां बता दें कि इस घाटी को 1982 में राष्ट्रीय पार्क घोषित किया गया था। हर साल यह पार्क जून के पहले सप्ताह में दुनिया के पर्यटकों के लिए खोला जाता है और अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में इसे बंद कर दिया जाता है। पर्यटकों को पार्क के केवल 9 किलोमीटर क्षेत्र में ही जाने की अनुमति दी जाती है।इन विदेशी पर्यटकों के फूलों की घाटी के अंदर जाने से पहले पकड़ लेने पर वन विभाग और खूफिया एजेंसी की सतर्कता तो समझ में आती है लेकिन ये लोग यहां तक पहुंचे कैसे, यह बड़ा सवाल है।