देहरादून। राज्य में स्कूली शिक्षकों के ड्रेसकोड का मामला एक बार फिर से गर्म हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ की गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी ने यह फैसला मानने से साफ इंकार कर दिया है। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद शिक्षकों को रुख कुछ नरम पड़ा था लेकिन गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी के इस फैसले ने इस मामले को और हवा दे दी है। कार्यकारिणी का कहना है कि सरकार उनपर जबरन ड्रेसकोड थोप रही है जबकि स्कूलों में शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के विकास की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बता दें कि सरकार ने ड्रेस कोड पर अपने कदम पीछे हटाने से साफ मना कर चुकी है।
नहीं पहनेंगे ड्रेस
गौरतलब है कि सरकार की तरफ से 1 अगस्त से पूरे राज्य में शिक्षकों और विभाग के कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के आश्वासनों के बाद बेसिक,जूनियर और राजकीय शिक्षक संघ ड्रेस कोड पर अपनी सहमति जता दी थी। अब गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी ने सरकार के इस फैसले का मानने से साफ मना कर दिया है। इसके लिए शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री सोहन सिंह माजिला को पत्र लिखकर भी इसकी जानकारी दे दी है। कार्यकारिणी का कहना है कि सरकार स्कूलों में शिक्षकों की कमी और दूसरी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान नहीं दे रही है।
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शिक्षक संघ फैसले से हैरान
बता दें कि गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी का कहना है कि स्कूलों में छात्र नीचे टाट और पट्टी पर बैठने पर मजबूर हैं ऐसे में शिक्षक सजधजकर स्कूलों में पहुंचेंगे यह नैतिकता के खिलाफ है। इसके बावजूद सरकार इसे जबरन थोपना चाहती है तो पहले इसे नियमावली में शामिल करे। उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए संसाधनों की जरूरत है। यहां बता दें कि गढ़वाल मंडल के शिक्षकों द्वारा लिए गए इस फैसले से शिक्षक संघ भी हैरान है। शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से बात करने के बाद कहा था कि अगर सरकार उनकी मांगें मान लेती है तो 5 सितंबर से ड्रेस कोड का पालन करेंगे।