देहरादून। उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सावधान हो जाएं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती के बाद प्रदेश सरकार ने सख्त आदेश जारी कर कहा है कि ऐसा करने वालों से रोजाना 5000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। अपर मुख्य सचिव डॉक्टर रणवीर सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के आसपास बसे होटल, धर्मशाला और आश्रम लगातार नदियों में सीवर, गंदा पानी या अन्य तरह का कचरा डाल रहे हैं जिसकी वजह से पानी प्रदूषित हो रहा है।
गौरतलब है कि गंगा को पूरी तरह से प्रदूषण से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार और एनजीटी दोनों ने कड़े कदम उठाए हैं। एनजीटी के द्वारा गंगा के किनारे चलने वाले आश्रम, होटल और रेस्टोरेंट को सीवरेज और कचरा गंगा में न डालने और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के नोटिस दिए गए हैं इसके बावजूद गंगा को प्रदूषित करने का सिलसिला जारी है। अब एनजीटी की सख्ती के बाद राज्य सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में गंदगी एवं कचरा फैलाने वालों से रोजाना 5000 रुपये का जुर्माना वसूलने का आदेश जारी किया है।
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यहां बता दें कि प्रदूषण फैलाने वालों से जुर्माना पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में वसूला जाएगा। अब इस आदेश लागू करने की जिम्मेदारी पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दी गई है। आपको बता दें कि गंगा की सफाई केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और इसके लिए नमामि गंगे के नाम से परियोजना भी चलाई जा रही है। अगर आंकड़ों की बात करें तो गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक इसके पानी को पीने योग्य माना गया है। हालांकि हरिद्वार के बाद इसकी स्थिति थोड़ी खराब है। गंगा और उसकी सहायक नदियों में किसी तरह का कचरा या सीवेज नहीं जाए इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तरकाशी से हरिद्वार तक नालों को टैप करने के साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भी बनाए जा रहे हैं।