देहरादून। राज्य में बढ़ते यौन शोषण के मामले को देखते हुए हाईकोर्ट ने सख्त फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को तत्काल प्रभाव से अश्लीलता फैला रही पोर्न साइट्स को बंद करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने केंद्र की 2015 की अधिसूचना का पालन करते हुए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में किसी भी रूप में प्रचारित होने वाली अश्लील सामग्री, पोर्न के प्रसार को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। बता दें कि कुछ दिनों पहले एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी ने वारदात को अंजाम देने से पहले अश्लील फिल्में देखने की बात कबूल की है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा है कि उसकी तरफ से जारी अधिसूचना का पालन मोबाइल कंपनियों ने किया है या नहीं? इसे लेकर 11 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए कहा कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आईएसपी) लाईसेंस धारक अगर इसका पालन नहीं करते हैं तो उनके लाईसेंस को निरस्त किया जाए।
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यहां बता दें कि कोर्ट के सामने इस तथ्य को भी रखा गया देहरादून के भाऊवाला इलाके में एक नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म से पहले आरोपियों ने अश्लील फिल्में देखने की बात स्वीकार की है। न्यायमित्र अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ ने कोर्ट को बताया कि इन पोर्न साइट्स के सर्वर विदेशों में हैं लेकिन मोबाइल कंपनी बीएसएनएल, एमटीएनएल व अन्य इनकी सेवा प्रदाता हैं।
गौर करने वाली बात है कि कोर्ट ने पिछले दिनों देहरादून के बोर्डिंग स्कूल में 10वीं की छात्रा से सीनियर छात्रों और स्कूल के डायरेक्टर के द्वारा किए गए दुष्कर्म और हल्द्वानी में स्कूल वैन में बच्ची के साथ किए गए दुष्कर्म का भी संज्ञान लेते हुए भी यह फैसला सुनाया है। आपको बता दें कि साल 2015 में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर कंपनियों से आईटी एक्ट के तहत इन साइट्स को बंद करने को कहा था लेकिन कंपनियों ने इन साइट्स को ब्लॉक नहीं किया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर लाइसेंस धारकों को 31 जुलाई 2015 की केंद्र की अधिसूचना का पालन करने और पोर्न साइट्स ब्लॉक करने का आदेश दिया है।