नैनीताल। गंगा और राज्य को पाॅलीथिन से पूरी तरह से मुक्त करने को लेकर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। हरिद्वार निवासी ललिति मिगलानी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक एवं पॉलीथिन उत्पादन इकाइयों को बंद करने के आदेश पारित कर दिए हैं। इसके साथ ही दूसरे राज्यों से इसका आयात न हो इसके लिए सभी सीमाओं के प्रवेश द्वार पर गहन चेकिंग करने के आदेश दिए हैं।
जिलाधिकारी हुए थे तलब
गौरतलब है कि जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते पिछली सुनवाई में 26 बिंदुओं पर आदेश पारित किए थे। अदालत के आदेश के बाद भी इसका पालन न होने पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दोबारा अपील की थी। इसके बाद कोर्ट ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को तलब कर दस्तावेज मांगे थे।
सरकार का पक्ष
आपको बता दें कि केन्द्र की ओर अदालत को बताया गया कि नेशनल मिशन फॉर गंगा के तहत 662 करोड़ मंजूर कर दिए हैं। वहीं राज्य ने बताया कि गंगा के पांच सौ मीटर दायरे में शौच एवं थूकने के अलावा दो किलोमीटर के दायरे में उद्योग लगाने पर पाबंदी लगाने के निर्देश दिए हैं। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश और गंगोत्री में एक हजार शौचालय बनाने के आदेश भी दिए गए हैं। राज्य में पाॅलीथिन के इस्तेमाल को रोकने के मामले में देहरादून जिले को छोड़कर अन्य सभी 12 जिलों के जिलाधिकारियों के साथ ही केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारी हाई कोर्ट में पेश हुए। देहरादून के जिलाधिकारी के पेश न होने पर नाराजगी जताई है।
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केंद्र को चार सप्ताह के भीतर गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने के सख्त आदेश दिए हैं। राज्य की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी, केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल राकेश थपलियाल, ललित शर्मा व संजय भट्ट, पीसीबी की ओर से अमन रब की ओर से गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
कोर्ट ने दिए ये आदेश
-केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के खिलाफ करे कार्रवाई
-राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि क्यों न पीसीबी को ही खत्म कर दिया जाए
-जिलाधिकारियों को निकाय व पंचायत में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बनाने व इन संस्थाओं को नोटिस देकर इस संबंध में आदेश के अनुपालन करवाने का अधिकार होगा।
सरकार की दलील
-उत्तराखंड एंटी लिटरिंग एंड स्पीटिंग एक्ट-2016 बना दिया गया है।
-गंगा नदी के दोनों ओर पांच सौ मीटर दायरे में थूकने पर पाबंदी लगा दी गई है।
-गंगा के दो किमी दायरे में उद्योग लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
-चारधाम यात्रा मार्ग पर तीन हजार की आबादी वाले क्षेत्र में प्लास्टिक की बोतल एवं प्लास्टिक निर्मित सामान को नष्ट करने के लिए क्रॉसिंग यूनिट (प्लास्टिक नष्ट करने वाल मशीन) लगाई जाएंगी।
-भारत हैवी इलेक्टिकल लिमिटेड नौ माह के भीतर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा कर लेगा।