नैनीताल। राज्य के नौजवानों को नशे की गिरफ्त में आने से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने दवाई की दुकानों पर बिकने वाले कफ सिरप, दर्द निवारक दवाएं और सर्दी जुकाम में ली जाने वाली कुछ दवाओं को पूरी तरह से नष्ट करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि कुछ दिनों पहले केंद्रीय औषधि नियंत्रण बोर्ड के द्वारा मेडिकल स्टोर में सेरीडाॅन, फेंसीड्रिल, डीकोल्ड की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए गए थे। आदेश में कहा गया था कि कफ सिरप और इन दवाओं का इस्तेमाल युवा नशे के तौर पर कर रहे हैं। बता दें कि अदालत में रामनगर की श्वेता मासीवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में युवाओं के बीच नशे की लत बढ़ती जा रही है। ऐसे में हाईकोर्ट को इस पर सख्त रुख अपनाना पड़ा है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय औषधि नियंत्रण बोर्ड के द्वारा प्रतिबंधित करीब 434 किस्म की दवाओं को पूरी तरह से नष्ट करने या उन्हें कंपनी को वापस करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों, निजी संस्थानों या सार्वजनिक स्थानों पर ड्रग कंट्रोल केंद्र खोलने के निर्देश दिए हैं।
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यहां बता दें कि पूरे देश में युवाओं के द्वारा दवाओं को नशे के तौर पर इस्तेमाल करने का चलन बढ़ता जा रहा है और सरकार इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल रही है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को पेश होने के आदेश भी दिए थे। एसएसपी एसटीएफ की ओर से बताया गया था कि नशे का कारोबार राज्य के बाहर के प्रदेशों से होता है। खंडपीठ ने इसे महत्वपूर्ण समस्या मानते हुए सभी 27 विश्वविद्यालयों, सभी एसपी-एसएसपी, सभी जिलाधिकारियों को पक्षकार बनाया था। खंडपीठ ने इस मामले में अहम दिशा-निर्देश दिए हैं।