देहरादून। राज्य सरकार गढ़वाल और कुमाऊं को सीधे जोड़ने वाले कंडी मार्ग को लेकर एक अहम फैसला लिया है। सरकार ने कहा कि इसके डामरीकरण के लिए वन विभाग से क्लियरेंस लेने की जरूरत नहीं है। इसके लिए उस फैसले को आधार बनाया गया, जिसमें यह साफ है कि वन अधिनियम लागू होने से पहले यदि जंगल से गुजरने वाली कोई सड़क डामरीकृत थी तो उसके लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस की जरूरत नहीं है। लोक निर्माण विभाग अब इसका डामरीकरण करेगा। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह रास्ता काफी समय से बंद था लेकिन राज्य के लोगों को आसान और सुगम मार्ग मुहैया कराने के मकसद से इस रास्ते को दोबारा खोलने की तैयारी की जा रही है।
वन विभाग से अनुमति की जरूरत नहीं
गौरतलब है कि पुराने समय में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र को आपस में जोड़ने के लिए कंडी मार्ग का इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन काफी समय से यह बंद पड़ा था। गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे सड़क से जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल (कोटद्वार) के निर्माण को लेकर सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह रास्ता पहले से ही डामरीकृत थी इस वजह से इसके लिए वन विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। आपको बता दें कि राज्य का लोक निर्माण विभाग अब इस रास्ते का डामरीकरण का काम शुरू करेगा।
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पुराने समय से थी जारी
आपको बता दें कि अंग्रेजी शासनकाल से चली आ रही कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार-लालढांग) मार्ग के कोटद्वार से रामनगर तक का हिस्सा कार्बेट टाइगर रिजर्व में पड़ता है और इसी को लेकर विवाद है। लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत चिलरखाल (कोटद्वार)-लालढांग(हरिद्वार) वाले हिस्से पर कोई विवाद नहीं है। इसे देखते हुए राज्य गठन के बाद से यह मांग उठती आ रही कि पहले चरण में इस हिस्से का निर्माण करा दिया जाए, ताकि कोटद्वार (गढ़वाल) आने-जाने को उप्र के बिजनौर क्षेत्र से होकर गुजरने के झंझट से मुक्ति मिल सके। अब सरकार ने लालढांग-चिलरखाल मार्ग को डामरीकृत सड़क बनाने का निश्चय किया है।