देहरादून। चीन के साथ बढ़ते सीमा विवाद को देख ते हुए उत्तराखंड से लगने वाली सीमा पर भी सुरक्षा को कड़ी करने की कवायद तेज कर दी गई है। उत्तराखंड के दौरे पर गए सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत ने कहा कि यहां ‘अनमैन्ड एरियल व्हीकल’(यूएवी) के जरिए सुरक्षा पर नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही हैवी फायरिंग रेंज स्थापित करने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी गई है। जनरल रावत ने पहाड़ी सीमा की रक्षा के लिए राज्य में ‘माउंटेन रेजीमेंट’ की स्थापना को भी जरूरी बताया है।
चीनी घुसपैठ को रोकने में कारगर
गौरतलब है कि चीन के साथ डोकलाम को लेकर विवाद इन दिनों काफी चर्चा में रहा है। हालांकि दोनों देशों ने बाद में उस क्षेत्र से अपनी-अपनी सेना को हटाने पर राजी हो गए थे। उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में भी चीनी सेना आए दिए घुसपैठ करती रहती है। इसे देखते हुए थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड की सरहद, देश की किसी भी अन्य सीमा से कम या ज्यादा संवेदनशील नहीं है। हमारा मकसद यह है देश की सभी सीमाएं सुरक्षित हों। चीन ने उत्तराखंड और नेपाल से लगने वाली सीमाओं पर सभी आधुनिक व्यवस्थाएं स्थापित कर चुका है जबकि हम अभी भी हिमालय की सुरक्षा में ही जुटे हैं। ये भी पढ़ें - उत्तराखंड में होगा फैशन फेस्टिवल का आयोजन, पहाड़ी परिधान, हस्तशिल्प और शिल्पकला को मिलेगी नई पहचान
आधुनिक हथियारों से होंगे लैस
आपको बता दें कि जनरल रावत ने राज्य में माउंटेन रेजीमेंट की स्थापना की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। माउंटेन रेजीमंेट में ऐसे विशेषज्ञों की भर्ती की जाती है जो पहाड़ों की ऊंचाई वाले इलाके से शत्रू पर सीधे वार करने में माहिर होते हैं। इसके जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। बता दें कि इसमें उन्हीं जवानों को लिया जाता है जो लंबे वक्त तक पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में रहने के अभ्यस्त होते हैं और इनको खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। ये चीते की तरह फुर्तीले और सबसे कम वक्त में सबसे तेज तरीके से किसी भी आपरेशन को अंजाम देने में सक्षम होते हैं। अगर राज्य में माउंटने रेजीमेंट की स्थापना होती है तो प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार का एक बड़ा अवसर पैदा होगा।