देहरादून। उत्तराखंड में गंगा के प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने हरिद्वार से लेकर उन्नाव तक गंगा के 100 मीटर के दायरे को ‘नो डेवलपमेंट जोन’ घोषित करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि एनजीटी की ओर से कहा गया है कि पिछले कुछ समय में गंगा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा है। एनजीटी ने कहा कि गंगा की सफाई के लिए शुरू की गई मुहिम का कोई असर जमीन पर नहीं दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय को इस बात को निर्देश जारी करते हुए कहा कि हरिद्वार से लेकर उन्नाव तक गंगा के 100 मीटर के दायरे को ‘नो डेवलपमेंट जोन’ और 500 मीटर के दायरे में कूड़ा फेंकने पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। यहां बता दें कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है लेकिन इसका कोई असर जमीन पर नहीं दिखाई दे रहा है।
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यहां बता दें कि इससे पहले भी एनजीटी ने गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले होटलों और आश्रमों को भी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने इन सभी होटलों और आश्रमों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे। फैसला जारी करने से पहले एनजीटी ने राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन (एनएमसीजी) को कड़ी फटकार लगाई। न्यायाधिकरण एनएमसीजी की ओर से गोमुख से उन्नाव तक गंगा की सफाई पर केंद्र, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की ओर से उठाए गए कदमों की रिपोर्ट दाखिल नहीं करने से नाराज था।
एनजीटी की अदालत ने कहा कि कहा कि गंगा की सफाई के लिए अब तक करीब 7000 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन हकीकत में कोई सफाई नजर नहीं आ रही है।