श्रीनगर । प्रदेश में श्रीनगर स्थित एनआईटी को ऋषिकेश में स्थानांतरित करने संबंधी खबरों के विरोध में लोगों का लामबंद होना शुरू हो गया है। इसके विरोध में लोगों ने एक मशाल जुलूस निकालकर इस प्रस्ताव का विरोध किया है। वहीं इस मामले में अब नैनीताल हाईकोर्ट की दखल हो गई है। हाईकोर्ट ने एनआईटी श्रीनगर को कहीं और शिफ्ट करने के मामले में केंद्र की मोदी सरकार , राज्य की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार और एनआईटी को 3 सप्ताह के भीर जवाब दाखिल करने को कहा है।
बता दें कि एनआईटी को श्रीनगर से ऋषिकेश स्थानांतरित करने संबंधी फैसले को लेकर एनआईटी के एक पुर्व छात्र ने हाईकोपर्ट में जनहित याचिका दायर की। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
जनहित याचिका दायर करने वाले एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि एनआईटी को बने 9 साल हो गए , लेकिन अब तक इसका स्थायी भवन नहीं बन पाया है। छात्र लंबे समय से इसके स्थायी भवन की मांग कर रहे हैं लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। जसवीर का कहना है कि इमारत पूरी तरह जर्जर है, जो कभी भी हादसे का शिकार हो सकता है। आलम ये है कि छात्रावास में 50 छात्रों के लिए सिर्फ एक बाथरूम है।
इसके साथ ही उन्होंने पिछले दिनों सड़क दुर्घटना का शिकार हुई कॉलेज की छात्रा के इलाज का खर्च केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वहन करने की बात कही। उसने बताया कि उसने 2016 में भी सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसके बाद शासन की ओर से सुमाड़ी में एनआईटी के लिए नए भवन की जगह बताई थी, लेकिन वह जगह मुफीद नहीं थी।
पूरी जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्र , राज्य सरकार और एनआईटी के इस मामले में 3 सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।