देहरादून। उत्तराखंड के कुछ शहरों देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश के आंतरिक हिस्सों में पूरी तरह से मेट्रो चलने के बजाय लाइट रेल ट्रांजिट(एलआरटी) चलाया जाएगा। मेट्रो अधिकारी के द्वारा जर्मन के रेल ट्रांजिट का अध्ययन करने के बाद उसे राज्य के इन हिस्सों के लिए फिट घोषित कर दिया है। बता दें कि एलआरटी मेट्रो का ही छोटा माॅडल है और इसमें कम संख्या में लोग यात्रा करते हैं। इसके साथ ही एलआरटी माॅडल की कीमतें कम होने की वजह से राज्य सरकार के खजाने पर बोझ भी कम पड़ेगा।
गौरतलब है कि दून मेट्रो प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार कर रहे दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने दून में फुल मेट्रो के लिए यात्रियों की कमी का हवाला देकर, दून में मिनी मेट्रो (एलआरटी) चलाने का विकल्प दिया था। अब यहां एलआरटी माॅडल चलाने की तैयारी की जा रही है यहां बता दें कि एलआरटी मॉडल अभी भारत में कहीं भी नहीं चल रहा है।
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यहां बता दें कि उत्तराखंड मेट्रो के प्रबंध निदेशक जितेन्द्र त्यागी और डीएमआरसी के अधिकारियों ने हाल ही में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में चलने वाली लाइट रेल ट्रांजिट का पूरा अध्ययन किया है और इसके बाद ही इसे प्रदेश के अंदरूनी हिस्सों के लिए पूरी तरह से फिट माना गया है। जितेन्द्र त्यागी ने बताया कि मेट्रो का प्रति किलोमीटर खर्चा करीब 250 करोड़ आने की संभावना है वहीं एलआरटी माॅडल पर 140 करोड़ का खर्च आएगा। एलआरटी का ट्रैक भी छोटा होता है, इस कारण ट्रैक निर्माण के दौरान लोगों की प्राइवेट प्रापर्टी का कम से कम नुकसान होगा। उत्तराखंड के अंदरूनी हिस्सों में लाइट रेल ट्रांजिट चलाने में आर्थिक मदद जर्मन बैंक केएफडब्लू की तरफ से दी जा रही है। त्यागी के मुताबिक बैंक उत्तराखंड मेट्रो प्रोजेक्ट में निवेश के लिए सहमत हो गया है। यहां बता दें कि जर्मनी का यही बैंक कोच्चि और नागपुर मेट्रो को भी फंड उपलब्ध करा रहा है।