टिहरी। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार की तरफ से कई उपाय किए जा रहे हैं। इसमें स्थानीय लोग भी अपना अहम योगदान दे रहे हैं। टिहरी जिले के घैरका पंचायत के लोगों ने अपनी मेहनत से एक मिसाल कायम की है। पर्यावरण सुरक्षा और जंगलों के बचाव के लिए लोगों के द्वारा दशकों से की जा रही मेहनत आखिरकार रंग लाई और आज यहां एक बड़ा जंगल विकसित हो गया है।
जलश्रोत भी फूटे
गौरतलब है कि घैरका पंचायत के लोगों के सामूहिक प्रयास से दस हेक्टेयर वन भूमि पर लगाए गए बांज और अन्य प्रजाति के पौधे, आज घने जंगल में तब्दील हो चुके हैं। जंगल विकसित होने का एक और फायदा यह हुआ कि यहां कई प्राकृतिक जलश्रोत भी फूट पड़े हैं। अब ग्रामीणों को न तो अपने जानवरों के लिए चारे की चिन्ता है और न ही पानी की। इस जंगल की देखरेख के लिए गांव के नौजवानों को रोजगार भी दिया गया है।
ग्रामीणों की जरूरतें पूरी हो रही है
आपको बता दें कि टिहरी जिले के इस गांव में फिलहाल 70 परिवार रहते हैं, जिनकी आबादी 800 के आसपास है। इस गांव में रहने वाले अधिकांश ग्रामीण आजीविका के लिए खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं। प्राकृतिक आपदा और जंगलों की कटाई के चलते ग्र्रामीणों के सामने चारे का भारी संकट पैदा हो गया था। ऐसे में गांव के कुछ लोगों ने गांव के पास वन भूमि पर बांज के पेड़ लगाने का संकल्प लिया। उन्हीं की मेहनत और लगन का परिणाम है कि आज यहां बांज सहित अन्य प्रजातियों का जंगल लहलहा रहा है। इससे ग्रामीणों की कई जरूरतें भी पूरी होती हैं।
जंगल गांव के लिए वरदान साबित हो रहे हैं
ग्राम पंचायत घैरका की प्रधान सोवनी देवी का कहना है कि पचास वर्ष पूर्व उगाया गया बांज का जंगल गांव के लिए वरदान साबित हो रहा है। इससे लोगों को घास-चारे के लिए अन्य जंगलों की ओर नहीं ताकना पड़ता। घैरका पंचायत के लोगों का यह प्रयास वाकई काबिलेतारीफ है।