देहरादून। उत्तराखंड के लोगों को आने वाले हफ्ते में स्वास्थ्य सेवा के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश के निजी अस्पताल संचालकों ने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड नर्सिंगहोम एक्ट लागू किए जाने की मांग को लेकर एक बार फिर से आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की अगुवाई में नर्सिंग होम और क्लीनिक संचालकों ने 25 दिसंबर से अस्पतालों व क्लीनिक में खुद ही तालाबंदी करने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि आईएमए की प्रदेश इकाई की दून में हुई आपात बैठक में यह फैसला लिया गया है। आईएमए ने सरकार, शासन व स्वास्थ्य निदेशालय को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि 24 दिसंबर तक मुख्यमंत्री ने उन्हें बात करने के लिए नहीं बुलाया तो अगले दिन से अस्पतालों में तालाबंदी कर स्वास्थ्य सेवाओं को ठप कर दिया जाएगा।
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यहां बता दें कि निजी अस्पताल के संचालक प्रदेश में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड नर्सिंगहोम एक्ट लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं। आईएमए की प्रदेश इकाई की बैठक में डॉक्टर डीडी चैधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री से बात करने के बाद उनके निर्देश पर ही क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट एक्ट का मसौदा तैयार किया था। मसौदे को स्वास्थ्य सचिव को सौंप भी दिया गया है और सीएम से मिलने का वक्त मांगा जा रहा है लेकिन सीएम सचिवालय की ओर से समय नहीं दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि सरकार की बेरुखी के चलते डाॅक्टरों का संयम जवाब देने लगा है। अब डाॅक्टरों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की तो 25 दिसंबर से सभी नर्सिंगहोम व क्लीनिक संचालक अस्पतालों में खुद ही तालाबंदी कर देंगे। आईएमए ने मांग उठाई है कि हरियाणा की तर्ज पर राज्य में संचालित 50 बेड तक के अस्पतालों को एक्ट में छूट दी जाए। साथ ही पंजीकरण शुल्क में कमी की जाए लेकिन सरकार उनकी मांगों को दरकिनार कर रही है।