Monday, April 29, 2024

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राज्य में एससी-एसटी तबके के लोग भी होंगे स्वाबलंबी, बनेंगे रिसर्च सेंटर

अंग्वाल न्यूज डेस्क
राज्य में एससी-एसटी तबके के लोग भी होंगे स्वाबलंबी, बनेंगे रिसर्च सेंटर

देहरादून। उत्तराखंड में पिछड़ी जाति को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज कर दी गई है। शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने आईसीसीएए द्वारा ओएनजीसी ऑडिटोरियम में आयोजित चतुर्थ एक दिवसीय राष्ट्रीय एससी/एसटी हब स्टेट कॉनक्लेव का शुभारंभ किया। इस मौके पर केन्द्रीय राज्यमंत्री सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम श्री गिरिराज सिंह तथा केन्द्रीय राज्यमंत्री वस्त्र अजय टमटा भी मौजूद थे। सीएम ने इस काॅनक्लेव को स्वाबलंबन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। इस अवसर पर एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार द्वारा उत्तराखण्ड के एससी/एसटी उद्यमियों के विवरण से सम्बन्धित एक सूचना निर्देशिका का विमोचन भी किया गया।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि स्वाबलंबी बनने से युवाओं के आत्मविश्वास में इजाफा होता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को मात्र सरकारी नौकरियों की मानसिकता से बाहर निकलना होगा। त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि पीएम कौशल विकास योजना युवाओं के सशक्तिकरण में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार की रोजगार और स्वरोजगार के लिए उठाए जा रहे कदमों की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र की तरफ से ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने वाली योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।  उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इन योजनाओं का लाभ धरातल पर दिखाई देगा। 

प्रदेश सरकार ने युवाओं के कल्याण व सभी योजनाओं को क्रियान्वित करने हेतु उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि राज्य में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। सरकार के इस पहल से रोजगार के नए आयाम आरम्भ होंगे। सरकार से राज्य में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई महिला स्वयं सहायता समूह को भी जोड़ा जा रहा हैै इसी का परिणाम है कि दन समूहों के द्वारा राज्य में देवभोग प्रसाद योजना के अंतर्गत अभी तक केदारनाथ में सवा करोड़ रुपये तक के प्रसाद की बिक्री हो चुकी है। 

 

मुख्यमंत्री ने कहा उत्तराखण्ड मंे पारंपरिक अनाजों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा स्थानीय अनाजों के उत्पादन व प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उत्तराखण्ड राज्य तथा यहां के लोगों का अपना एक ब्राण्ड है जो अपनी विश्वसनीयता, सरलता ईमानदारी व कर्मठता के लिए लोकप्रिय है। हमें इस विश्वसनीयता को बनाए रखते हुए राज्य को प्रगति के पथ पर ले जाना है। 


गौर करने वाली बात है कि प्रदेश के सीएम ने प्रधानमंत्री के द्वारा एससी-एसटी वर्ग को आगे लाने के लिए योजनाओं को लक्ष्य आधारित बनाया है। बड़ी बात यह है कि इन योजनाओं को लागू करने के लिए निश्चित समय-सीमा व उत्तरदायित्व निर्धारित किए गए हैं। अनुसूचित जाति व जनजाति में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने तथा उन्हें स्वालम्बी बनाने के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। पिछड़ी जाति के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई स्टार्ट अप नीति में भी एससी/एसटी वर्ग के लाभार्थियों को प्राथमिकता दी जा रही है। स्टैण्ड अप इण्डिया में भी एससी, एसटी व महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान है। इन लोगों के विकास के लिए केन्द्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा राज्य में रिसर्च सेंटर स्थापित किया जा रहा है जिसमें राज्य सरकार द्वारा पूरा सहयोग किया जा रहा है। 

 

यहां बता दें कि इस मौके पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि केंद्र की सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। लोगों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार राज्य को हर संभव मदद दे रही है और सभी राज्यों में रिसर्च सेंटर खोले जा रहे हैं। इन सेंटरों में एससी-एसटी युवाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 

 

मंत्रालय द्वारा प्रत्येक जिले में कलस्टर आधारित योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।  एससी-एसटी वर्ग में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। 20 प्रतिशत एससी/एसटी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। बैंकों से कॉलेटेरल लॉन के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 7500 करोड़ का कॉरपस फंड बनाया गया है।केन्द्रीय राज्यमंत्री वस्त्र  श्री अजय टमटा ने कहा कि हमारे शिल्पकार व विभिन्न परम्परागत कार्यो  से जुड़े लोगों का स्वरोजगार व ग्रामीण जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। हमें अपने परम्परागत शिल्प व उद्यमों को सरंक्षित व पोषित करने की आवश्यकता है। हमारा सामाजिक ताना-बना एक दूसरे से जुड़ा है। सीमान्त क्षेत्रों मे पलायन रोकने में परम्परागत कार्यो से जुड़े में लोगो की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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