देहरादून। उत्तराखंड क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता को लेकर नया पेंच फंस गया है। प्रदेश की रणजी ट्राॅफी में भागीदारी को लेकर बीसीसीआई और प्रशासकों की समिति (सीओए) के चेयरमैन विनोद राय आमने-सामने आ गए हैं। बीसीसीआई की विशेष आम सभा (एसजीएम) ने उत्तराखंड की रणजी ट्राफी में भागीदारी को मंजूरी नहीं दी। वहीं चेयरमैन विनोद राय ने एसजीएम के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि उत्तराखंड इस सत्र में रणजी ट्राॅफी खेलेगा। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस मामले को देखने के लिए कहा है। इसके बाद ही उन्होंने राज्य में सहमति कमेटी का गठन एक साल के लिए किया है।
गौरतलब है कि एसजीएम की बैठक में खिलाडियों के संशोधित वेतन के साथ बिहार, उत्तरपूर्व के राज्यों और उत्तराखंड के रणजी ट्राॅफी में खेलने का मामला रखा गया। सीके खन्ना की अध्यक्षता वाली एसजीएम ने बिहार और उत्तरपूर्व के राज्यों को रणजी ट्राॅफी में खेलने की मंजूरी तो दे दी लेकिन उत्तराखंड को इजाजत देने से इंकार कर दिया। एसजीएम का कहना है कि वहां कोई एक संघ काम नहीं कर रहा है। इसके साथ ही वहां काम कर रहे संघों के बीच आपस में भी कोई तालमेल नहीं है। ऐसे में उत्तराखंड को मंजूरी देना जायज नहीं होगा लेकिन सीओए चेयरमैन विनोद राय इस फैसले से सहमत नहीं हैं।
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अब इस आपसी मतभेद के बीच उत्तराखंड के रणजी ट्राॅफी में खेलने को लेकर एक बार फिर से सस्पेंस खड़ा हो गया है। खास बात यह है कि बोर्ड की कार्यकारिणी की ओर से लिए गया फैसला बिना सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के लागू नहीं होंगे। ऐसे में एसजीएम में लिए गए सभी फैसले सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे जाएंगे।