देहरादून। सरकार ने प्रदेश की शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की कवायद तेज हो गई है। उत्तराखंड सरकार जल्द ही राज्य के 27 स्कूलों में जनरल हेल्थ केयर की पढ़ाई शुरू करवाने जा रही है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने हेल्थ केयर कंपनी ‘मिहिर’ के साथ समझौता भी कर लिया है। इस कोर्स को करने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। यह प्रमाणपत्र सरकारी और निजी अस्पतालों में सामान्य हेल्थ केयर वर्कर के पद के लिए उपयोगी होगा।
कोर्स का मिलेगा प्रमाणपत्र
गौरतलब है कि शिक्षा, सही मायनों में तभी सफल होती है जब वह रोजगारपरक हो। सिर्फ डिग्री के लिए शिक्षा हासिल करने वालों की तादाद तो काफी है। उत्तराखंड सरकार ने इसकी तरफ एक कदम बढ़ाया है। सरकार ने शुरुआती चरण में राज्य के 27 स्कूलों में सामान्य हेल्थ केयर की पढ़ाई शुरू करने जा रही है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक स्वास्थ्य कंपनी ‘मिहिर’ से समझौता कर लिया है। इस कोर्स को करने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र इस सर्टिफिकेट के आधार पर सरकारी और निजी अस्पतालों में सामान्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी के पद पर नौकरी पा सकता है।
9वीं कक्षा से शुरू होगी पढ़ाई
आपको बता दें कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के अपर परियोजना निदेशक ने बताया कि हेल्थ केयर के अलावा अन्य उद्योगों से भी बात की जा रही है। इसमें आॅटोमोबाइल और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र भी शामिल हैं। यहां बता दें कि करीब तीन साल पहले विद्यालयी शिक्षा बोर्ड से हेल्थ केयर विषय को शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। यह कोर्स 9वीं कक्षा से शुरू होगा और 12वीं तक चलेगा। परियोजना निदेशक शशि चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा के अलावा अन्य क्षेत्रों के कोर्स के लिए भी टेंडर निकाले गए थे लेकिन इसके लिए किसी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। कंपनी मिलते ही टेंडर कर उन विषयों को भी कोर्स में शामिल कर दिया जाएगा। ऐसा होने से छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा।
ग्रामीण क्षेत्र के उद्यमी देंगे शिक्षा
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले छोटे इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर या लकड़ी का काम करने वालों को अपने साथ जोड़ने जा रहा है। ये लो अपने इलाके के स्कूलों में छात्रों को प्रैक्टिकल जानकारी देंगे। केन्द्रीय मावन संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्य को इस योजना का विस्तृत ड्राफ्ट भेजा है और उस पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। केन्द्र ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में उद्योगों की कमी के कारण छात्रों को प्रैक्टिकल का ज्ञान नहीं मिल पाता है। ऐसे में उस क्षेत्र में काम करने वाले कुशल और अकुशल लोगों को स्कूली छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए जोड़ा जाएगा।