देहरादून । धर्म नगरी हरिद्वार में गत 17 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद के मामले में अब प्रदेश की धामी सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना पड़ेगा । असल में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तराखंड में आयोजित इन धर्म संसद में एक समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के संबंध में जवाब मांगा गया है । असल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है , जिसमें उनके साथ जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली भी हैं ।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश ने याचिकाएं लगाई हैं । इन याचिकाओं में दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद के दौरान एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने की बात कही गई । याचिकाकर्ताओँ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए इस मामले की स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय जांच कराने की मांग की है ।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वालों ने आग्रह किया है कि इसके लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाना चाहिए । मामले की अगली सुनवाई 10 दिन के बाद होगी । याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) ने एफआईआर दर्ज की है , लेकिन किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है ।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि यह सब उस उत्तराखंड में हो रहा है, जहां विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) की प्रक्रिया जारी है. यह सब हिंसा भड़काने का प्रयास है । कोर्ट को बताया गया कि आगामी 23 जनवरी को अलीगढ़ में भी ‘धर्म-संसद’ (Dharm-Sansad) का आयोजन होना है । ऐसे में इस पर रोक लगाई जाए ।