देहरादून। ऐसा लगता है कि प्रदेश में शिक्षकों और सरकार के बीच चल रही तनातनी अभी भी खत्म नहीं हुई है। अब राजकीय शिक्षक संघ ने सरकार के स्कूलों के कोटिकरण के फैसले पर नाराजगी जताई है। संघ ने कहा कि सरकार को मौजूदा कोटिकरण को निरस्त कर 2013 में किए गए कोटिकरण लागू करना चाहिए ताकि सुगम-दुर्गम का सही तरीके से निर्धारण हो सके। वहीं तबदला कानून के तहत शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मियों की संख्या के आधार पर भी दोबारा कोटिकरण की मांग की गई है।
गौरतलब है कि राजकीय बालिका इंटर कॉलेज लक्खीबाग में राजकीय शिक्षक संघ मंडलीय कार्यकारिणी की बैठक में शिक्षकों की मांगों पर कार्रवाई न होने पर नाराजगी जाहिर की गई। बैठक में वर्तमान कोटिकरण का विरोध करते हुए शिक्षकों ने वर्ष 2013 के कोटिकरण को लागू करने की मांग की गई। शिक्षकों ने कहा कि वर्तमान कोटिकरण के निर्धारण ने वर्षो से दुर्गम विद्यालयों में कार्य करते हुए स्थानांतरण की आस लगाए बैठे शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब तक जो विद्यालय दुर्गम में थे उन्हें दोषपूर्ण तरीके से सुगम बना दिया गया है जो सरासर अन्यायपूर्ण व आपत्तिजनक है।
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यहां बता दें कि राजकीय शिक्षक संघ ने सरकार द्वारा किए गए कोटिकरण को रद्द कर 2013 में किए गए कोटिकरण को लागू करने की मांग की है। फिलहाल किए गए कोटिकरण में 31 अंकों तक दुर्गम और 32 से 71 अंकों तक सुगम में विभाजित किया है। शिक्षकों की मांग है कि इसे संशोधित कर 50 तक दुर्गम एवं 51 से 71 तक सुगम में विभाजित किया जाए। इसमें शिक्षक संघ के द्वारा इस बात की भी मांग की गई कि तबादला कानून की धारा-27 के प्रावधानों के क्रम में शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए दोबारा कोटिकरण किया जाए।