Saturday, May 4, 2024

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उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच हुआ परिवहन समझौता, परमिट की शर्तों में हुए बदलाव

अंग्वाल न्यूज डेस्क
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच हुआ परिवहन समझौता, परमिट की शर्तों में हुए बदलाव

देहरादून। काफी लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड और हिमाचल के बीच परिवहन करार हो गया। अब दोनों राज्यों के यात्रियों को आने-जाने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही सामानों की ढुलाई की दिक्कतें भी खत्म होंगी। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के परिवहन अधिकारियों की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए।  फैसलों पर मुहर लगाते हुए परिवहन सचिव सीएस नपच्याल ने इसके लिए शासनादेश भी जारी कर दिया।  

15 अप्रैल से लागू होंगे करार के नियम

गौरतलब है कि दोनों राज्यों के परिवहन अधिकारियों की बैठक में इस बात का फैसला लिया गया कि अंतरराज्यीय परमिट की न्यूनतम 30 दिन की अनिवार्यता खत्म कर सात दिन कर दी गई है। इसके साथ ही उत्तराखंड की रोडवेज बसों के रूट व फेरे बढ़ाए गए हैं, जबकि हिमाचल रोडवेज के कम किए गए हैं। सामानों की ढुलाई में आने वाली दिक्कतों को भी कम करने का फैसला लिया गया। इसके लिए दोनों राज्यों के बीच प्रतिदिन चलने वाले 100 मालयानों की सीमा को भी खत्म कर दिया है। परिवहन सचिव सीएस नपच्याल ने इसके लिए शासनादेश भी जारी कर दिया। अपर परिवहन आयुक्त सुनीता सिंह ने बताया कि करार की शर्तें 15 अप्रैल से लागू हो जाएंगी। 

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करार में इन बातों पर हुआ फैसला 

-पहले उत्तराखंड रोडवेज की बसें हिमाचल में 28 मार्गो पर 87 सिंगल टिप में 8662 किमी चलती थी। अब ये बसें 35 मार्गो पर 124 सिंगल टिप में 8822 किमी चल सकेंगी। 

-पहले हिमाचल रोडवेज की बसें उत्तराखंड के 60 मार्गो पर 113 सिंगल टिप में 8392 किमी संचालन करती थी। अब ये बसें 47 मार्गो पर 100 सिंगल टिप में 8978 किमी चलेंगी। 


-आपको बता दें कि पहले दोनों राज्यों में बसांे को भविष्य में 1000 किमी तक अतिरिक्त संचालन की अनुमति थी, जो नए करार में 2000 किलोमीटर कर दी गई है। 

-व्यावसायिक वाहनों को दूसरे राज्य की विशेष परमिट के लिए पहले 30 दिन की अनिवार्यता थी,इसे खत्म कर दी गई है। 

-पहले मैक्सी कैब के अंतरराज्यीय अस्थाई परमिट 15 दिन के लिए जारी किए जाते थे, जिसे खत्म कर दिया गया है। अब उत्तरप्रदेश की तर्ज पर एक दिन का अस्थाई परमिट भी मिल सकेगा। 

-पहले दोनों राज्यों में मैक्सी कैब के 50 स्थाई अंतरराज्यीय परमिट की व्यवस्था थी, यह शर्त भी खत्म कर दी गई है। 

-पहले अस्थाई परमिट के ऑनलाइन आवेदन और टैक्स की व्यवस्था नहीं थी।

 

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