देहरादून। उत्तराखंड सरकार और शिक्षकों के बीच ‘आॅल इज वेल’ नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गलती से अप्रशिक्षित शिक्षकों की श्रेणी में आए हजारों विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है। आंदोलन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि अफसरों की गलती का खामियाजा शिक्षक क्यों भुगतें? बता दें कि राज्य में विशिष्ट बीटीसी कोर्स को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता नहीं है लेकिन शिक्षा विभाग विशिष्ट बीटीसी कराता रहा है।
कोर्स की मान्यता रद्द
गौरतलब है कि राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को विशिष्ट बीटीसी का कोर्स करवाया जा रहा था। हाल ही में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से बगैर मान्यता प्राप्त संस्थानों से कराए गए कोर्स की मान्यता रद्द कर दी है जिससे हजारों शिक्षक अप्रशिक्षित शिक्षकों की श्रेणी में आ गए। विभागीय अधिकारियों की चूक के विरोध में आज शिक्षा निदेशालय में आंदोलन किया जाएगा। यहां बता दें कि इस बैठक में दून जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह कृषाली, पौड़ी के जिलाध्यक्ष मनोज जुगरान, नरेंद्र मैठानी, अशोक उनियाल, सूर्य पैन्यूली, आशुतोष बडोनी, राकेश बागड़ी, भुवन उनियाल, विपिन उनियाल, मदन सिंह, प्रमोद सिंह कैंत्युरा, अनिल चमोली, नीलम रावत, गीता रानी, राजेंद्र सिंह गुसाईं और वीरेंद्र सिंह भंडारी मौजूद रहे।
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सीएम को नहीं जानकारी
आपको बता दें कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसके बारे में बताया। शिक्षकों ने बताया कि यह काम विभाग के अधिकारियों का था लेकिन उन्होंने उनके बारे में सोचा ही नहीं। शिक्षकों ने विशिष्ट बीटीसी का कोर्स करने में हजारों रुपये खर्च कर दिए हैं लेकिन अब इसकी मान्यता रद्द कर दी गई है। ऐसे में उनके साथ न्याय किया जाए। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को समस्या के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए उन्हें जल्द हल का भरोसा दिलाया है।