नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने बुधवार राज्य के तीनों निगमों के कर्मचारियों को मुफ्त बिजली मामले में उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPCL ) को फटकार लगाई । इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 10 फरवरी तय की है । देहरादून स्थित RTI क्लब ने यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनएल के कर्मियों और अधिकारियों को दी जा रही मुफ्त बिजली मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा था कि यूपीसीएल की तरफ से कोई कार्रवाई नही की गई है । इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने UPCL के एमडी से पूछा है कि अभी तक कितने कर्मचारियों के वहां मीटर लग चुके हैं । कर्मचारियों को साल में कितनी यूनिट बिजली और किस दर से दी जाती है।
बता दें कि उत्तराखंड के तीनो निगमों में तैनात कर्मचारियों को सस्ती दरों पर बिजली मुहैया करवाई जा रही है । इस पर देहरादून स्थित RTI क्लब ने इस संबंध में याचिका दायर की थी । याचिका में कहा गया था कि एक तरफ विभाग अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को बेहद सस्ती दरों पर बिजली मुहैय्या करा रहा है, वहीं आम लोगों के लिए बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की जा रही है । वहीं आरोप लगते रहे हैं कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घर बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं । जो लगे भी हैं वे खराब स्थिति में हैं । उदारहण के तौर पर जनरल मैनेजर का 25 माह का बिजली का बिल 4 लाख 20 हजार आया था और उसके बिजली के मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नही ली गई ।
इस पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपीसीएल के एमडी से ये भी पूछा कि साल 2018-19 में कर्मचारियों से कितना राजस्व वसूला गया और निगम को कितना घाटा हुआ । सुनवाई के दौरान कारपोरेशन की तरफ से बताया गया कि 'बोर्ड ऑफ मीटिंग' में फोर्थ क्लास कर्मचारियों को आठ हजार यूनिट, थर्ड क्लास कर्मचारियों को दस हजार सेकेंड और सेकेंड तथा फर्स्ट क्लास कर्मचारियों को ग्यारह और बारह हजार यूनिट देने का प्रस्ताव रखा है । यदि कर्मचारी इससे अधिक बिजली खर्च करते हैं तो वे पचास प्रतिशत के हिसाब से भुगतान करेंगे।
इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देश के सभी न्यायधीशों को दस हजार यूनिट बिजली साल की दी जाती है और इससे अधिक खर्च करने पर उनसे प्रचलित बिजली दर के हिसाब से पैसा वसूला जाता है ।
वहीं हाईकोर्ट के इस याचिका पर सुनवाई से पहले ही निगम कर्मचारियों ने कहा कि सस्ती दरों पर बिजली लेना उनका हक है । जबकि जानकारों का कहना है कि राज्य बिजली विभाग घाटे में चल रहा है, दूसरी तरफ अधिकारी और कर्मचारी मुफ्त में बिजली लेकर मौज कर रहे हैं । जबकि आम आदमी के लिए बिजली की दरों में लगातार इजाफा किया जा रहा है।